लॉकडाउन / कौन देगा प्रवासी मजदूरों का रेल किराया? रेलवे ने दिया ये जवाब

भारत में लॉकडाउन (Lockdown) 17 मई तक के लिए बढ़ा दिया गया है। यह तीसरा मौक़ा है जब लॉकडाउन की तारीख़ बढ़ाई गई है। इससे पहले 24 मार्च को 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा की गई थी। 21 दिन की यह अवधि पूरी होने से ठीक एक दिन पहले यानी 13 अप्रैल को एक बार फिर लॉकडाउन की घोषणा की गई। इस बार 19 दिन के लिए लॉकडाउन रखा गया। यह अवधि तीन मई को पूरी होने वाली थी लेकिन इससे ठीक दो दिन पहले एक बार फिर लॉकडाउन को दो सप्ताह के लिए बढ़ा दिया गया है। इस बीच, भारतीय रेलवे ने शुक्रवार से देश के विभिन्‍न इलाकों में फंसे प्रवासी कामगारों, छात्रों और पर्यटकों के लिए विशेष ट्रेनों को हरी झंडी दे दी है। देश के चुनिंदा रूट पर ट्रेनें चलाई जा रही हैं। इस बीच ट्रेन में सफर के दौरान खाने-पीने के सामान भी दिया जाएगा।

इसके साथ ही ट्रेन में सफर करने के लिए किसी को टिकट जारी नहीं किया जा रहा है। मतलब ये कि फंसे हुए लोगों से टिकट के पैसे नहीं लिए जा रहे हैं। अब सवाल उठता है कि आखिर सफर के दौरान होने वाले खर्चा कौन उठाएगा। इसके जवाब में रेलवे ने बताया है कि किराया संबंधित राज्य सरकारों से लिया जाएगा। रेलवे की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक किराए में स्लीपर क्लास के टिकट की कीमत, 30 रुपये का सुपरफास्ट शुल्क और प्रति यात्री भोजन के अलावा पानी के लिए 20 रुपये शामिल होंगे। इसका भुगतान राज्य सरकारें करेंगी।

रेलवे ने स्पष्ट तौर पर कहा कि 1000 से 1200 यात्रियों को ही ट्रेन में बैठने की अनुमति है। रेलवे की ओर से ट्रेनों में सोशल डिस्टेंसिंग और सैनेटाइजिंग का पूरा ख्याल रखा जाएगा। हालांकि, कौन से लोग ट्रेन से सफर कर सकते हैं, ये राज्य सरकारें तय करेंगी।