न ब्रिटेन का नया वायरस हमारे यहां आया, न हमारे यहां का वायरस बदला: नेशनल AIDS रिसर्च इंस्टीट्यूट

नेशनल AIDS रिसर्च इंस्टीट्यूट (NARI) का कहना है कि ब्रिटेन में पाया गया नया कोरोना वायरस हमारे यहां हुई जांचों में नहीं पाया गया है। NARI के डायरेक्टर डॉ. समिरन पांडा ने मंगलवार को न्यूज एजेंसी से कहा कि हमने देश के अलग-अलग हिस्सों से इकट्‌ठा किए गए सैम्पल्स की जांच की है। इनमें कोरोना का ब्रिटेन वाला नया स्ट्रेन नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि इस वायरस का फैलाव और गंभीरता किस तरह की इसे अभी समझने की जरूरत है। यह भी स्पष्ट नहीं है कि यह वायरस लोगों की सेहत के लिए बहुत खतरनाक होगा। NARI इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की ब्रांच है।

आपको बता दे, यूनाइटेड किंगडम में महामारी SARS-CoV-2 कोरोना वायरस का एक नया संस्करण तेजी से फैल रहा है। सोमवार को भारत ने नए संस्करण के बारे में चिंताओं के बीच 31 दिसंबर तक यूके से जुड़ी सभी उड़ानों को निलंबित कर दिया। पिछले हफ्ते, दक्षिण और पूर्वी इंग्लैंड में कोविड -19 मामलों में तेजी से वृद्धि के पीछे नए SARS-CoV-2 संस्करण का कारण बताया गया था। इसे VUI (Variant Under Investigation) 202012/01 या B.1.1.7 वंश के रूप में संदर्भित किया जा रहा है।

NARI के डायरेक्टर ने कहा कि हम देश में फैल रहे वायरल जीनोम पर 6-7 महीने से नजर रखे हैं। इसके लिए 2000 से ज्यादा सैम्पल जांचे गए हैं, लेकिन इसमें बदलाव नजर नहीं आया है। भारत ऐसा देश नहीं है जहां सभी राज्य में वायरस का व्यवहार एक जैसा हो। यहां कई राज्यों में यह तेजी से फैला है। उन्होंने कहा कि नया वायरस आए या न आए, लेकिन वायरस की चेन तोड़ने की व्यवहारिक बंदिशों को सख्त करना चाहिए। करीब 11 तरह के मिलते-जुलते वायरस पहले से पहचाने गए हैं, लेकिन इन सब से घबराने की जरूरत नहीं है। यह समय नजर रखने का है, घबराने का नहीं।

यह वेरिएंट क्या है?

वेरिएंट की पहचान जीनोमिक सर्विलांस में COVID-19 Genomics UK (COG-UK) द्वारा की गई, जो एक ऐसा कंसोर्टियम है जो यूके से जीनोम अनुक्रमण डेटा का विश्लेषण करता है। वैश्विक कोविड -19 डेटाबेस जीआईएसएआईडी में सीओजी-यूके का सबसे बड़ा योगदान है। बताया गया कि यह वेरिएंट SARS-CoV-2 कोरोना वायरस में कई तरह के म्यूटेशन का नतीजा है।