लॉकडाउन / बिना श्रद्धालु के खुले केदारनाथ धाम के कपाट, देखें तस्वीरें

उत्तराखंड में मौजूद केदारनाथ धाम के पट बुधवार सुबह 6:10 मिनट में ब्रह्म मुहूर्त में खुले। इस बार कपाट खुलने के दौरान 15-16 लोग ही मौजूद रहे। पिछले साल कपाट खुलने के दिन 3 हजार लोगों ने केदारनाथ के दर्शन किए थे। केदारनाथ मंदिर के रावल भीमाशंकर लिंग कपाट खुलने के दौरान मौजूद नहीं थे। वह 19 अप्रैल को महाराष्ट्र से उत्तराखंड पहुंचे और ऊखीमठ में 14 दिन के क्वारैंटाइन में हैं। रावल 3 मई को केदारनाथ पहुंचेंगे। उनके प्रतिनिधि के तौर पर पुजारी शिवशंकर लिंग ने कपाट खुलने की सम्पूर्ण प्रक्रियाओं का निर्वहन किया। कपाट खुलने के अवसर पर उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड के अधिकारी बी।डी।सिंह, तहसीलदार जयबीर राम बधाणी एवं पुलिस चौकी प्रभारी मंजुल रावत मुख्य द्वार पर मौजूद थे। उत्तराखंड में मौजूद यह 1000 साल पुराना मंदिर हर साल सर्दियों के छह महीने बंद रहता है।

आज सबसे पहले मुख्य पुजारी ने भगवान केदारनाथ की डोली की पूजा की और भोग लगाया। उसके बाद मंत्रोच्चारण के बीच मंदिर के कपाट खोले गए। फिर डोली ने मंदिर में प्रवेश किया। इसके बाद पुजारियों ने मंदिर की सफाई की, भगवान की पूजा की और भोग लगाया। पुजारी शिवशंकर लिंग ने रूद्राभिषेक एवं जलाभिषेक पूजा संपन्न कर भगवान केदारनाथजी का जलाभिषेक किया गया। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रखा गया। कपाट खुलने के दौरान ऋषिकेश के बाबा के भक्त सतीश कालड़ा ने श्री केदारनाथ मंदिर को 10 क्विंटल गैंदा, गुलाब एवं अन्य फूलों को भेज फूलों से मंदिर सजाया। मंदिर को रात्रि में बिजली की रोशनी से जगमगा रहा था।

कई परंपराओं को इस बार बदलना पड़ा

हर बार इस पूजा और भोग के बाद मंदिर को दर्शन के लिए खोला जाता है। लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण के चलते इस बार दर्शन के लिए यात्रियों के यहां आने पर मनाही है। यही वजह थी कि मंदिर और यात्रा से जुड़ी कई परंपराओं को इस बार बदलना पड़ा। ऊखीमठ से केदारनाथ की डोली इस बार दो दिन में ही पहुंच गई और उसे गाड़ी में लाया गया। यह दूसरा मौका है जब डोली गाड़ी में आई है, इससे पहले देश में इमरजेंसी के वक्त ऐसा किया गया था। कोरोना की वजह से देशभर में जारी लॉकडाउन का प्रभाव चारधाम यात्रा पर भी पड़ा है। यात्रा होगी या नहीं इस पर फैसला अब तक नहीं हो सका है। पिछले साल 32 लाख लोगों ने चारधाम यात्रा की थी।

कपाट खुलने की तारीख को लेकर विवाद

कपाट खुलने की तारीख को लेकर भी विवाद हुआ था और सरकार ने इसे आगे बढ़ाने को कहा था, लेकिन रावल और हकहकूकधारियों की एक बैठक में पहले से तय तारीख पर ही पट खोलने का फैसला लिया गया। वहीं, बद्रीनाथ के कपाट पहले 30 तारीख को खुलने थे, जिसे अब बदलकर 15 मई कर दिया गया है।

आपको बता दे, मंदिर के पट हर साल वैशाख महीने यानी मार्च-अप्रैल में खोले जाते हैं। करीब 6 महीने तक यहां दर्शन और यात्रा चलती है। इसके बाद कार्तिक माह यानी अक्टूबर-नवंबर में फिर कपाट बंद हो जाते हैं। कपाट बंद होने के बाद केदारनाथ की डोली ऊखीमठ ले जाई जाती है, जहां ओंकारेश्वर मंदिर में उनकी पूजा होती है। 12 ज्योतिर्लिंगों में यह सबसे ज्यादा ऊंचाई पर बना मंदिर है, जिसे आदि शंकराचार्य ने बनवाया था।