पंजाब में उस वक्त हड़कंप मच गया जब महाराष्ट्र के नांदेड़ से लौटे 8 श्रद्धालु कोरोना संक्रमित पाए गए। इन 8 में से 5 लोग तरन तारन जिले के है जहां अब तक एक भी कोरोना मरीज नहीं था। आशंका जताई जा रही है ये सभी श्रद्धालु अपने-अपने वाहनों से पंजाब लौटे हैं। कोरोना के बढ़ते खतरे के मद्देनजर पंजाब सरकार ने नांदेड़ से आने वाले हर शख्स का कोरोना टेस्ट कराने का फैसला किया है। नांदेड़ से लौटने वाले 8 कोरोना मरीजों में से 5 तरन तारन के सुरसिंह गांव से हैं जबकि 3 कपूरथला के फगवाड़ा से हैं।
तरनतारन में नांदेड़ से लौटे श्रद्धालुओं की सुरसिंह अस्पताल में स्क्रीनिंग भी हुई थी और उनमें कोई लक्षण सामने नहीं आए थे। प्रशासन ने सुरसिंह गांव और लाहुका को कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया है। यहां एंट्री और एग्जिट पॉइंट सील कर दिए हैं। डेप्युटी कमिश्नर प्रदीप सबरवाल ने बताया कि प्रशासन मरीजों के इलाज के लिए व्यवस्था कर रहा है और साथ ही वे किस-किस के संपर्क में आए इसका पता लगाया जा रहा है।
तरन तारन एसडीएम रजनीश अरोड़ा ने बताया कि नांदेड़ से 35 और श्रद्धालु सोमवार को यहां पहुंचे जिन्हें उनके घर भेजने से पहले सरहाली कालां सरकारी अस्पताल में स्क्रीनिंग कराई जा रही है। सभी को 14 दिन के लिए घर पर ही क्वारंटीन रहने की सलाह दी गई है। ये सभी बुर्ज राय, बालारे और पंटकोटा गांव से हैं।
पंजाब सरकार द्वारा सिख श्रद्धालुओं को लाने वाली 80 लग्जरी बसें सोमवार को नांदेड़ से रवाना हो गई हैं। बस में 52 यात्रियों के बैठने की क्षमता है लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए एक बस में केवल 35 यात्री बिठाए गए। बस को पंजाब पुलिसकर्मी और ट्रांसपोर्ट अधिकारी एस्कॉर्ट कर रहे हैं। सभी श्रद्धालु पंजाब से 14 अलग-अलग जगहों में 4 दिन में पहुंचेंगे। ज्यादातर श्रद्धालु नांदेड़ में होला मोहल्ला त्योहार में शामिल होने आए थे। ये सभी शहर में एक महीने से फंसे थे और यात्री निवास में रह रहे थे।
सिखों का प्रमुख गुरुद्वारा है हजूर साहिबहजूर साहिब सचखंड गुरुद्वारा नांदेड़ का प्रमुख गुरुद्वारा है। हर साल यहां दुनियाभर से लाखों श्रद्धालु आते हैं। बंगई ने बताया कि करीब 4,000 श्रद्धालु नांदेड़ में लॉकडाउन के शुरू होने के साथ ही फंसे हुए हैं। इनमें से ज्यादातर पंजाब से हैं। करीब 1 हजार श्रद्धालुओं को तीन समूहों में पहले ही घर भेजा जा चुका है। वे अपने-अपने घरों को पहुंच चुके हैं।