भारत को जल्द मिलेगा कोरोना रोधक चौथा टीका, दुनिया की पहली DNA वैक्सीन जायकोव-डी के तीसरे फेज का ट्रायल जारी

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने मंगलवार को राज्यसभा में बताया कि जायडस कैडिला कंपनी की कोविड-19 वैक्सीन (Covid-19 Vaccine) जायकोव-डी (ZyCoV-D Vaccine) के तीसरे चरण का क्लीनिकल परीक्षण जारी है। यह कोरोना वायरस के खिलाफ एक प्लास्मिड डीएनए वैक्सीन है।

मंडाविया ने सदन को बताया कि अगर वैक्सीन सभी परीक्षणों में पास हो जाती है और इसे देश में इस्तेमाल की मंजूरी मिलती है, तो यह कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए दुनिया का पहला डीएनए आधारित टीका और देश में उपलब्ध चौथा टीका होगा।

डीएनए-प्लाज्मिड आधारित ‘जायकोव-डी’ टीके की तीन खुराकें होंगी। इसे दो से चार डिग्री सेल्सियस तापमान पर रखा जा सकता है और कोल्ड चेन की जरूरत नहीं होगी। इससे देश के किसी भी हिस्से में इसकी खेप आसानी से पहुंचाई जा सकेगी।

जायडस की तीन डोज वाली वैक्सीन को कोविड के सिम्टम्स वाले मामलों के खिलाफ 66.6% और मध्यम संक्रमण के खिलाफ 100% इफेक्टिव बताया गया है।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत आने वाले उपक्रम जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी) के तहत नेशनल बायोफार्मा मिशन (एनबीएम) द्वारा टीके को सहयोग मिला है।

जायडस कैडिला ने बीते एक जुलाई को कहा था कि उसने अपनी कोविड-19 वैक्सीन जायकोव-डी के आपातकालीन उपयोग के लिए भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) से मंजूरी मांगी है। कंपनी ने कहा था कि उसने भारत में अब तक 50 से अधिक केंद्रों में अपने कोविड-19 वैक्सीन के लिए क्लीनिकल परीक्षण किया है।

जायडस कैडिला ने एक बयान में कहा था, 'कंपनी ने जायकोव-डी के लिए डीसीजीआई के कार्यालय में ईयूए के लिए आवेदन किया है।'

कैडिला हेल्थकेयर के प्रबंध निदेशक डॉ शरविल पटेल ने कहा था कि जब वैक्सीन को मंजूरी मिल जाएगी, तो इससे न सिर्फ व्यस्कों को, बल्कि 12 से 18 वर्ष की आयु के किशोरों को भी मदद मिलेगी।