ब्रिटेन में तेजी से पांव पसार रहा डेल्टा वैरिएंट, सप्ताह भर में बढ़े 32 फीसदी मामले

कोरोना ने पूरी दुनिया में कहर बरपाया हुआ हैं और इसके नए-नए वैरिएंट भी तांडव मचा रहे हैं। कोरोना के डेल्टा वैरिएंट ने चिंता बढ़ा दी हैं जो दुनिया के कई देशों में फैल चुका हैं। ब्रिटेन के हालात एक बार फिर बदतर होते जा रहे हैं जहां डेल्टा वैरिएंट तेजी से पांव पसार रहा है। आलम यह हैं कि ब्रिटेन में सप्ताह भर में डेल्टा वैरिएंट के नए मामलों में 32 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया। हालांकि टीके से लोगों का बचाव भी हो रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि डेल्टा वैरिएंट एंटीबॉडीज को चकमा दे रहा है।

शुक्रवार को इसके 54,268 मामले दर्ज हुए जो पिछले हफ्ते की तुलना में 32 फीसदी अधिक थे। हालांकि आंकड़ों को देखें तो नए मामले तो बढ़े हैं लेकिन अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों व मरने वालों की संख्या इस गति से नहीं बढ़ी है। इससे साफ है कि टीके की दोनों खुराकें मिलने से लोगों का संक्रमण से बचाव भी हो रहा है और एक खुराक वाले अगर संक्रमण की चपेट में आ भी रहे हैं तो उनकी हालत गंभीर नहीं हो रही है।

वैज्ञानिकों ने संक्रमण की चपेट में आ चुके 103 लोगों की जांच की तो पता चला कि डेल्टा बिना वैक्सीन वाले लोग जो अल्फा की चपेट में आए उनकी तुलना में कम संवेदनशील है। वैज्ञानिकों ने 59 लोगों के सैंपल की जांच की जिन्हें एस्ट्राजेनेका या फाइजर टीके की एक या दो डोज लग चुकी थी। टीम ने पाया कि एक डोज लेने वाले केवल दस फीसदी में इम्युनिटी देखी गई जो डेल्टा व बीटा वैरिएंट को न्यूट्रलाइज करने में सक्षम था। टीके की दूसरी डोज 95 फीसदी असरदार दिखी, लेकिन दोनों वैक्सीन लगने के बाद एंटीबॉडीज में कोई बहुत बड़ा अंतर या बदलाव नहीं दिखा। यही कारण हो सकता है कि डेल्टा वैरिएंट टीका लगवा चुके लोगों के लिए भी खतरे की घंटी है।