दिखी उम्मीद / 90 साल पुरानी इस दवा का कोरोना मरीज पर होगा ट्रायल, केंद्र सरकार ने दी मंजूरी

देश में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। अब तक 53 हजार 491 लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके है। गुरुवार को आंध्रप्रदेश में 56, राजस्थान में 83, हरियाणा 10, कर्नाटक 8, बिहार और छत्तीसगढ़ 4-4, हिमाचल 2, ओडिशा 1 और चंडीगढ़ में 4 मरीजों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। इससे पहले बुधवार को देशभर में 3602 संक्रमित बढ़े। वहीं, कोरोना संकट के बीच एक राहत की उम्मीद नजर आई है। कोरोना के इलाज के लिए 90 साल पुरानी बीसीजी (BCG) की दवा का कोरोना वायरस के क्लीनिकल ट्रायल को केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है। आपको बता दे, फ्रैंच बैक्टीरियालॉजिस्ट अल्बर्ट काल्मेट और कैमिल गुरीन को इस वैक्सीन को बनाने में 1908 से 1921 के बीच 13 साल का वक्त लगा था। अब तक इसका इस्तेमाल टीबी के मरीजों के लिए किया जाता है।

इस दवाई का ट्रायल महाराष्ट्र में पुणे के ससून हॉस्पिटल में किया जाएगा। मुंबई के परेल स्थित हाफकिन इंस्टीट्यूट में इस दवाई पर रिसर्च की जा रही है। नतीजे बेहतर रहे तो कोविड-19 के खिलाफ भी ये वैक्सीन बड़ा हथियार बन सकती है। इसके अलावा इस दवा का ट्रायल पुणे के ससून हॉस्पिटल के अलावा बीजे मेडिकल कॉलेज में भी किया जाएगा।

मध्यम असर वाले रोगियों पर होगा ट्रायल

बीजे मेडिकल कॉलेज और ससून जनरल हॉस्पिटल्स के डीन डॉ मुरलीधर ताम्बे ने कहा, 'वैक्सीन का अगले सप्ताह से कोविड -19 रोगियों पर ट्रायल शुरू किया जाएगा।' डॉ. ताम्बे ने आगे बताया कि इसका परीक्षण केवल मध्यम असर वाले रोगियों पर किया जाएगा। गंभीर या हल्के संक्रमण वाले रोगियों को इससे बाहर रखा गया है। ऐसे रोगियों में खांसी, बुखार और जुकाम जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं। मध्यम रोगियों पर इसके ट्रायल के पीछे का मकसद यह है कि हम बीमारी की गंभीरता, अस्पताल में भर्ती होने की अवधि और इलाज के परिणामों की बारीकी से निगरानी कर सकें।

डॉ मुरलीधर ताम्बे ने आगे बताया, 'ट्रायल की अनुमति ड्रग कंट्रोल जनरल ऑफ इंडिया ने हाफकीन इंस्टिट्यूट को दी थी। इसके बाद हाफकीन के अधिकारियों ने रविवार को बीजे मेडिकल कॉलेज का दौरा किया और दो मीटिंग के बाद यहां पर इसके ट्रायल को मंजूरी दी गई है। गुरुवार यानी आज हम हाफकीन विशेषज्ञों के साथ एक और चर्चा करेंगे ताकि रोगियों की वास्तविक संख्या तय की जा सके जो परीक्षण में शामिल होंगे।'

फेफड़ों की सर्जरी के विशेषज्ञ अरविंद कुमार के अनुसार बीसीजी टीकाकरण और कोरोना वायरस में कुछ संबंध तो है, लेकिन दोनों में सीधा संबंध है, अभी ऐसा कहना जल्दबाजी होगी।

वरिष्ठ श्वास रोग विशेषज्ञ रवि शंकर झा के अनुसार भी इसके लिए बड़े स्तर पर रोग का अध्ययन होना चाहिए। डॉ. अरविंद ने संभावना जताई कि पहले से होने वाले संक्रमणों की वजह से हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता वायरस के खिलाफ बेहतर साबित हो सकती है।

हालांकि, डब्लूएचओ ने कहा है कि अभी तक इसके कोई प्रमाण नहीं मिले हैं कि बीसीजी का टीका कोविड-19 के लिए कारगार है या नहीं।