अमेरिका में इस वजह से तेजी से फैल रहा कोरोना वायरस

ट्रंप प्रशासन अमेरिका में नोवेल कोरोना वायरस को रोक पाने में नाकाम साबित हो रही है। चीन और इटली के बाद अमेरिका तीसरे नंबर का देश बन गया है जो कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभवित हुआ है। अमेरिका में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या 46,157 हैं और 582 लोगों की मौत हो गई है। आज 835 नए केस दर्ज किए गए हैं। वहीं, इसके साथ अमेरिका में हेल्थ एजेंसी की तरफ से गंभीर चूक का मामला भी सामने आ रहा है। देश की शीर्ष स्वास्थ्य एजेंसी ने एक के बाद एक कई गलत कदम उठाए जिसकी वजह से देश में कोरोना वायरस के लिए विश्वसनीय लैब टेस्ट की भारी कमी हो गई है। उल्लेखनीय है कि साउथ कोरिया ने ज्यादा से ज्यादा नागरिकों की टेस्टिंग के वजह से कोरोना के मामले को सीमित कर लिया है, लेकिन अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश में टेस्टिंग धीमी रफ्तार से चल रही है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने महीने की शुरुआत में देशवासियों को भरोसा दिलाया था कि सेंटर्स फॉर डिजिज कंट्रोल ऐंड प्रीवेन्शन द्वारा कोविड-19 के टेस्ट के लिए तैयार सिस्टम उपयुक्त है और जो भी टेस्ट कराना चाहते हैं, उनका टेस्ट हो जाएगा। लेकिन अमेरिका में कोरोना का पहला मामला सामने आने के दो महीने बाद भी कई लोगों का टेस्ट नहीं हो पाया है।

फरवरी में जब कोरोना ने अपनी जड़ें अमेरिका में जमानी शुरू कीं, उस वक्त सीडीसी के डेटा के मुताबिक सरकारी लैब में हर दिन सिर्फ 352 टेस्ट हो रहे थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के चीफ के भी कह चुके हैं कि आप आंख मूंदकर आग से नहीं लड़ सकते। हम इस महामारी को नहीं रोक सकते अगर हमें यह नहीं पता कि कितने लोग संक्रमित हैं।

उधर, अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ ऐंड ह्युमन सर्विसेज अपनी गलतियों के मूल्यांकन के लिए आंतरिक समीक्षा कर रहा है। लेकिन बाहरी पर्यवेक्षक और केंद्रीय स्वास्थ्य अधिकारी बताते हैं कि चार मुख्य वजहें जिसने कोरोना के खिलाफ हमारे रेस्पॉन्स को प्रभावित किया है। पहला, WHO द्वारा सुझाए गए टेस्ट पर जल्द फैसला न लेना, सीडीसी के टेस्ट का जिटल होना, सरकारी दिशानिर्देश में टेस्ट को लेकर भ्रम की स्थिति कि कौन करा सकता है और कौन नहीं और चौथा, निजी क्षेत्र को टेस्ट के काम में देरी से लगाना। वे कहते हैं कि वाइट हाउस ने इस बीमारी को कम आंका और इसके रेस्पान्स में हुई देरी के कारण ही प्रसार को धीमा करने का मौका हमने गंवा दिया।