मनमोहन सिंह के अस्थि विसर्जन में शामिल न होने पर बोली कांग्रेस, 'उनके परिवार को गोपनीयता दी जाए'

नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी ने सोमवार को पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की अस्थि विसर्जन रस्म के दौरान गांधी परिवार और अन्य पार्टी नेताओं की अनुपस्थिति पर स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा कि यह निर्णय परिवार की निजता का सम्मान करने के लिए लिया गया था। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य वरिष्ठ नेता डॉ. मनमोहन सिंह की अस्थियों को इकट्ठा करने और विसर्जित करने की रस्म में परिवार की निजता के प्रति हमारे सम्मान के कारण शामिल नहीं हुए।

पवन खेड़ा ने एक बयान में कहा, उनके साथ चर्चा करने के बाद, यह महसूस किया गया कि चूंकि परिवार को दाह संस्कार के समय कोई गोपनीयता नहीं मिली थी और परिवार के कुछ सदस्य चिता स्थल तक नहीं पहुंच सके थे, इसलिए उन्हें 'फूल चुनने' और अस्थि विसर्जन के लिए कुछ गोपनीयता देना उचित होगा, जो कि करीबी परिवार के सदस्यों के लिए भावनात्मक रूप से दर्दनाक और कठिन समारोह है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने यह भी कहा कि सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने डॉ. सिंह के अंतिम संस्कार के बाद उनके परिवार से मुलाकात की। यह स्पष्टीकरण तब आया जब केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी समेत कई भाजपा नेताओं ने कांग्रेस नेताओं की आलोचना की कि जब डॉ. सिंह की अस्थियां यमुना नदी में विसर्जित की गईं तो भाजपा नेता मौजूद थे और उनके परिवार के साथ डॉ. सिंह के परिवार के लोग नहीं थे।

समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए पुरी ने कहा, सिख समुदाय ने आकर उनके (पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह) लिए प्रार्थना की। हमने हमेशा उनके काम की प्रशंसा की है और उनसे प्रेरणा ली है। आज भी जब उनकी अस्थियां विसर्जित की गईं तो वहां हमारे लोग मौजूद थे, कांग्रेस के लोग नहीं।

भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने भी इसी तरह की चिंता जताई और कहा, यह देखकर बहुत दुख हुआ कि कांग्रेस या गांधी परिवार का एक भी सदस्य डॉ. मनमोहन सिंह जी के अवशेष लेने नहीं आया। मीडिया का ध्यान खींचने और राजनीति करने के लिए कांग्रेस मौजूद थी, लेकिन जब उन्हें सम्मान देने की बात आई तो वे गायब हो गए। यह वाकई शर्मनाक है।

26 दिसंबर को 92 साल की उम्र में दिवंगत हुए डॉ. सिंह की अस्थियों को सिख रीति-रिवाजों के अनुसार 29 दिसंबर को मजनू का टीला गुरुद्वारा के पास यमुना नदी में विसर्जित किया गया। उनकी पत्नी गुरशरण कौर और उनकी तीन बेटियाँ - उपिंदर सिंह, दमन सिंह और अमृत सिंह - परिवार के अन्य सदस्यों के साथ मौजूद थीं। उस दिन सुबह ही निगमबोध घाट से अस्थियाँ एकत्र की गई थीं और बाद में विसर्जन के लिए गुरुद्वारा के पास 'अस्थ घाट' ले जाई गईं।

डॉ. सिंह का पूरे राजकीय सम्मान के साथ निगमबोध घाट पर अंतिम संस्कार किया गया। वह एक विशाल कद के नेता थे, उन्हें 1990 के दशक में भारत में आर्थिक उदारीकरण लाने के लिए याद किया जाता है।