अमेठी सीट से क्यों हारे राहुल गांधी, जनता ने कहा - नहीं मिला वह प्‍यार जो राजीव गांधी से मिलता था

उत्तर प्रदेश की प्रतिष्ठित अमेठी लोकसभा सीट से कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी हार गए हैं। भाजपा (BJP) की वरिष्ठ नेता स्मृति ईरानी की जीत के पीछे अमेठी की जनता का कहना है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से उन्हें वह आत्मीयता नहीं मिल सकी, जो उनके दिवंगत पिता एवं पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) से मिलती थी। कांग्रेस का गढ़ माने जा रहे अमेठी सीट से भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार स्मृति ईरानी ने कांग्रेस अध्यक्ष को 55 हजार 120 मतों के अंतर से पराजित किया। इस चुनाव में स्मृति को चार लाख 67 हजार 598 मत मिले जबकि कांग्रेस अध्यक्ष को चार लाख 12 हजार 867 मत प्राप्त हुए। इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को 408,651 वोट मिले थे, जबकि भाजपा प्रत्याशी स्मृति ईरानी को 300,748 वोट मिले थे और कांग्रेस अध्यक्ष ने केंद्रीय मंत्री को 1,07,000 वोटों के अंतर से पराजित किया था। राहुल गांधी अमेठी से लगातार तीन बार सांसद रहे। उन्होंने 2009 में यह सीट 3,50,000 से भी ज्यादा मतों से जीती थी। कांग्रेस अध्यक्ष यहां से पहली बार 2004 में चुन कर संसद पहुंचे थे।

अमेठी के लोगों का कहना है कि राजीव गांधी के समय शुरू की गयी कई परियोजनाएं और कार्यक्रम राहुल के सांसद रहते एक एक करके बंद होते गए। इससे हजारों लोगों की रोजी-रोजगार पर असर पड़ा। इसके चलते बड़ी संख्या में लोगों ने रोजगार के लिए अमेठी से पलायन किया। लोगों का कहना है कि इस बार और तो और गांधी परिवार से बरसों से पूरी निष्ठा से जुड़े बुजुर्गों का भी मन टूटा दिखता है। उन्हें मलाल है कि गांधी परिवार की वर्तमान पीढी से उन्हें वह प्यार और इज्जत नहीं मिली, जो इसे पहले की पीढियों से मिला करती थी।

अवकाश प्राप्त शिक्षक सुनील सिंह ने कहा, 'राजीव गांधी जीवन रेखा एक्सप्रेस साल में एक बार महीने भर के लिए अमेठी आती थी। इस ट्रेन पर डॉक्टरों की विशेषज्ञ टीम होती थी, जो उपचार के साथ साथ सर्जरी भी करती थी। इस सेवा से लाखों लोगों को फायदा होता था। लेकिन यह सेवा राहुल के सांसद रहते बंद हो गयी और इस महत्वपूर्ण चिकित्सा सेवा को बहाल करने का कोई प्रयास नहीं किया गया।' सिंह की बात से सहमति जताते हुए किराना व्यापारी शशांक साहू ने बताया, 'राजीव गांधी ने सम्राट बाइसिकिल्स नामक कंपनी स्थापित करने में मदद की थी। उनके बाद फैक्ट्री घाटे में चली गयी और उसे बंद कर दिया गया। उसके बाद कंपनी की जमीन नीलामी पर लग गयी क्योंकि कंपनी पर कर्ज था। इस जमीन को राजीव गांधी चैरिटेबिल ट्रस्ट ने खरीद लिया।'

उन्होंने कहा, 'ट्रस्ट में राहुल गांधी ट्रस्टी हैं और किसानों को जमीन लौटाने की मांग को लेकर स्मृति ईरानी ने पांच साल तक लड़ाई लड़ी। स्मृति के अलावा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने स्थानीय लोगों से किसानों की जमीन वापस लौटाने का वायदा किया है।' इसके बाद आंगनबाडी सेविका उषा तिवारी ने बताया, 'राजीव गांधी सचल स्वास्थ्य सेवा के तहत नौ गाडियां गांव-गांव जाकर गरीबों का इलाज करती थीं और मुफ्त में दवा बांटती थीं लेकिन यह सेवा भी राहुल के सांसद रहते ही बंद हो गयी। जनता की भारी मांग के बावजूद इसे दोबारा शुरू कराने का प्रयास नहीं किया गया।'

बुजुर्ग शमशुद्दीन ने बताया, 'राजीव गांधी गांव-गांव, घर-घर जाकर एक-एक व्यक्ति से व्यक्तिगत तौर पर मिलते थे और इससे उनका अमेठी की जनता के साथ आत्मीय संबंध कायम हो गया था। राहुल ने अमेठी के दौरे तो बहुत किये लेकिन कहीं न कहीं लोगों के साथ वह सीधा संवाद नहीं स्थापित कर पाये, जो राजीव गांधी के साथ होता था।' उन्होंने कहा, 'राजीव गांधी के समय के पुराने और निष्ठावान कांग्रेसी धीरे धीरे पार्टी से दूर होते चले गये जबकि सच्चाई यह है कि ये लोग ही पार्टी के चुनाव अभियान की पूरी कमान संभालते थे। अगर ये लोग साथ होते तो शायद नतीजे राहुल के पक्ष में नजर आते।'दरअसल, अमेठी संसदीय सीट को कांग्रेस का दुर्ग कहा जाता है और इस सीट पर इससे पहले तक 16 लोकसभा चुनाव और 2 उपचुनाव हुए हैं। इनमें से कांग्रेस ने यहां 16 बार जीत दर्ज की है। 1977 में लोकदल और 1998 में भाजपा को यहां से जीत मिली थी जबकि बसपा और सपा इस सीट से अभी तक अपना खाता भी नहीं खोल सकी है।

इस संसदीय क्षेत्र के गौरीगंज सब्जी मंडी में सब्जी का थोक कारोबार करने वाले धनंजय कुमार मौर्य ने बताया, 'अमेठी से सांसद रह चुके कैप्टन सतीश शर्मा के समय बनी मालविका स्टील फैक्टरी भी राहुल के ही समय में बंद हो गयी। किसानों की जो जमीन गयी, वह तो गयी ही। साथ ही दस हजार लोग बेरोजगार हो गये। ये वही बेरोजगार थे, जिन्हें किसानों से जमीन के बदले एक परिवार से एक व्यक्ति को फैक्टरी में रोजगार के लिए रखा गया था।' अमेठी लोकसभा सीट के तहत पांच विधानसभा सीटें आती हैं, इनमें अमेठी जिले की तिलोई, जगदीशपुर, अमेठी और गौरीगंज सीटें शामिल है जबिक रायबरेली जिले की सलोन विधानसभा सीट आती है। 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में 5 सीटों में से 4 सीटों पर भाजपा और महज एक सीट पर समाजवादी पार्टी को जीत मिली थी। सोनिया गांधी ने राजनीति में जब कदम रखा तो उन्होंने 1999 में अमेठी को ही अपनी कर्मभूमि बनाया था। वह इस सीट से जीतकर पहली बार सांसद बनी, लेकिन 2004 के चुनाव में उन्होंने अपने बेटे राहुल गांधी के लिए ये सीट छोड़ दी और इसके बाद से राहुल ने लगातार तीन बार यहां से जीत हासिल की।

कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे सकते हैं राहुल गांधी

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है। पार्टी को सिर्फ 52 सीटें मिली हैं। आंध्र प्रदेश, हरियाणा, गुजरात, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड समेत 17 केंद्र शासित प्रदेश और राज्य हैं जहां कांग्रेस खाता भी खोलने में नाकाम रही। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को भी अमेठी सीट से हार का सामना करना पड़ा। ऐसे में कांग्रेस को एक बार फिर से नेता प्रतिपक्ष का पद मिल पाना मुश्किल लग रहा है। लोकसभा के कुल सदस्यों की संख्या 543 है और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद हासिल करने के लिए कम से कम इसका 10 फीसदी यानि 55 सीटों की जरूरत होती है और कांग्रेस को केवल 52 सीटें मिली हैं। 2014 में कांग्रेस को 44 सीटें मिली थीं।

इस हार की जिम्मेदारी लेते हुए राहुल गांधी कांग्रेस कार्य समिति (CWC) की बैठक में शनिवार को कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे सकते हैं। गुरुवार को भी इस तरह की खबरें आईं थीं कि राहुल गांधी ने नतीजों के बाद इस्तीफे की पेशकश की है, हालांकि बाद में पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने इसे नकार दिया।