CAA को लेकर लखनऊ में गरजे अमित शाह तो कांग्रेस ने दिखाए अपने तेवर, गिनाए PM मोदी और गृह मंत्री के 9 झूठ

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मंगलवार को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के समर्थन में गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने कहा विपक्षी पार्टियों को जितना हो हल्ला करना है कर ले, लेकिन मैं डंके की चोट पर कह रहा हूं CAA वापस नहीं होने वाला है। 'भारत माता की जय' के नारों से अपने भाषण की शुरुआत करने के बाद अमित शाह ने पूरे विपक्ष पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रचार किया जा रहा है कि इसकी वजह से इस देश के मुसलमानों की नागरिकता चली जाएगी। ममता दीदी, राहुल बाबा, अखिलेश यादव चर्चा करने के लिए सार्वजनिक मंच तलाश लो, हमारा स्वतंत्र देव चर्चा करने के लिए तैयार है। सीएए की कोई भी धारा, मुसलमान छोड़ दीजिए, अल्पसंख्यक छोड़ दीजिए किसी भी व्यक्ति की नागरिकता ले सकती है तो वह मुझे दिखा दीजिए। अमित शाह ने देश भर नागरिकता कानून को लेकर हो रही हिंसा का जिम्मेदार समाजवादी पार्टी (एसपी), कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को ठहराया। उधर, कांग्रेस ने नागरिकता कानून और NRC को लेकर सरकार पर हमला बोला। वरिष्ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि संविधान में पांच आधार पर नागरिकता का प्रावधान, उसमें धर्म कोई आधार नहीं है। उन्होंने कहा कि पहली बार देश के इतिहास में धर्म को नागरिकता का आधार बनाया गया है और ये विभाजनकारी है।

कपिल सिब्बल ने कहा कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने CAA के बारे में 9 झूठ फैलाए हैं।

- पीएम और गृह मंत्री ने कहा कि CAA भेदभावपूर्ण नहीं है। उन्होंने कहा कि संविधान में भारत की नागरिकता के 5 प्रावधान हैं, जिनमें कहीं भी धर्म का कोई ज़िक्र नहीं है। 1955 के नागरिकता एक्ट में भी यही प्रावधान हैं ।

- CAA का NRC से कोई ताल्लुक नहीं। अप्रैल 2019 में अमित शाह ने कहा था कि पहले CAB आएगा, उसके बाद NRC आएगा। 9 दिसंबर 2019 को लोकसभा में अमित शाह ने CAB के पास होने के बाद राष्ट्रव्यापी NRC की बात की। ऐसे में CAA-NRC के ताल्लुक को नकारा नहीं जा सकता।

- मोदी ने 22 दिसंबर 2019 को एक रैली में कहा कि उनकी सरकार आने के बाद NRC पर कोई चर्चा नहीं हुई। जबकि, 20 जून 2019 को संसद के संयुक्त अधिवेशन में राष्ट्रपति के संबोधन में NRC को प्राथमिक तौर पर लागू होने की बात कही गई।

- NRC की प्रक्रिया को न तो अधिसूचित किया गया और न ये कानूनी है। यह पूरी तरह झूठ है, क्योंकि, 2003 में जब NRC एडॉप्ट किया गया, तो उसके अनुच्छेद 14 (a) में इसके कानूनी होने का उल्लेख है और उसमें देश के प्रत्येक नागरिक को पहचान पत्र की बात है।

- NRC अभी शुरू होना है, जबकि पहली अप्रैल से NRC शुरू होने का नोटिफिकेशन जारी हो चुका है।

- NPR का NRC से कोई संबंध नहीं है। गृह मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट 2018-19 में कहा गया कि, 'NPR NRC को लागू करने का पहला कदम है।'

- किसी भारतीय को डरने की जरूरत नहीं है, जबकि हमारे पूर्व राष्ट्रपति फखरुद्दीन साहब के परिवारजनों; कारगिल युद्ध के पुरस्कार विजेता सनाउल्लाह खान का नाम असम की NRC में नहीं था। अब ऐसे में किसी गरीब आदमी का नाम गायब हो गया, तो वो क्या करेगा?

- मोदी ने कहा कि देश में कोई डिटेंशन सेंटर नहीं है। जबकि, अकेले असम में 6 डिटेंशन सेंटर में 988 लोग कैद हैं। जनवरी 2019 भारत सरकार ने डिटेंशन सेंटर बनाने के निर्देश दिए।

- प्रदर्शनों के खिलाफ कोई बल प्रयोग नहीं किया गया। 28 लोग अकेले यूपी में मारे गए। लोगों के घर जलाए गए, दुकानें जलाई गई, लोगों को घरों में घुसकर मारा गया और भाजपा सरकार झूठ बोल रही है।