जयपुर : कोरोना जांच के नाम पर लेते 1000 रुपए, बिना सैंपल जांचे देते थे फर्जी रिपोर्ट, दो गिरफ्तार

इस कोरोना महामारी के समय में भी लोग अपने गलत मंसूबो को सिद्ध करने में लगे हुए हैं और कोरोना को ठगी का जरिया बना रहे हैं। ऐसे ही एक मामले में मंगलवार को शिप्रापथ थाना पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया हैं जो कोरोना जांच के नाम पर ठगी को अंजाम देते थे और सैंपल लेकर फेंक देते थे। पुलिस ने यह कारवाई लैब संचालक सीताबाड़ी निवासी दिशेभ गुप्ता द्वारा सोमवार को दर्ज करवाई रिपोर्ट पर की हैं। रिपोर्ट दर्ज करवाई गई थी कि उनकी लैब के लेटर हैड पर किसी ने फर्जी कोरोना रिपोर्ट तैयार करके एक व्यक्ति को दे दी। जब उस व्यक्ति ने लैब संचालक से शिकायत की थी। उसके बाद रजिस्ट्रेशन नंबर के आधार पर जांच की तो सामने आया कि ये रिपोर्ट वास्तव में फर्जी निकली। उसके बाद पुलिस टीम ने सैंपल लेने व्यक्ति के संबंध में पूछताछ करके जांच की तो सामने आया कि अभिषेक शहर के अलग-अलग इलाके से लोगों के काेरोना सैंपल लेता है। उसके बाद पुलिस ने अभिषेक व उसके साथी निखिल को गिरफ्तार कर लिया।

अभिषेक नामी लैब में काम कर चुका और निखिल एडिटिंग का एक्सपर्ट

पूछताछ में सामने आया कि अभिषेक शहर की दो नामी लैब के नाम से सैंपल कलेक्ट करता है। घर से सैंपल कलेक्ट करने की एवज में वह 800 से 1000 रुपए लेता है। अभिषेक सैंपल लेने के बाद उसे किसी सुनसान जगह पर कचरे में फेंक देता है और पीड़ित व्यक्ति का नाम व अन्य डिटेल वॉट्सएप के जरिए अपने साथी मानसरोवर स्थित दूसरी लैब में काम करने वाले निखिल के पास भेज देता है। जहां पर निखिल पहले आई हुई किसी रिपोर्ट की पीडीएफ फाइल को ऑनलाइन पीडीएफ एडिटर के जरिए नाम व अन्य डिटेल बदलकर फर्जी रिपोर्ट तैयार करता था।

उसके बाद अभिषेक उक्त रिपोर्ट सैंपल देने वाले व्यक्ति को भिजवा देता था। अब पुलिस टीमें आरोपियों से अन्य साथियों के संबंध में पूछताछ कर रही है। इसके साथ ही पुलिस इस एंगल पर भी जांच कर रही है कि किसी व्यक्ति से ज्यादा पैसे लेकर जान बूझकर गलत रिपोर्ट बनाई है क्या? पकड़ा गया आरोपी अभिषेक लैब टैक्निशयन का डिप्लोमा किया हुआ है। इसलिए वह मार्केट से सैंपल कलेक्टर करने का काम देखता है। अब पुलिस जांच कर रही है कि ये गिरोह अब तक कौनसी-कौनसी लैब के नाम से कितनी रिपोर्ट बना चुके है। गिरफ्तार आरोपी अभिषेक पहले शहर की एक नामी लैब पर काम करता था। जहां से कुछ माह पहले ही हटा दिया।