आईएनएक्स मीडिया मामले (INX Media Scam) में सीबीआई ने मनमोहन सरकार में वित्त मंत्री रहे वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदबंरम बुधवार रात को गिरफ्तार कर लिया। 28 घंटे चले हाई वोल्टेज ड्रामे के बाद दिल्ली में सीबीआई ने चिदंबरम को उनके जोरबाग स्थित घर से गिरफ्तार किया। बता दे, लुकआउट नोटिस जारी करने वाली सीबीआई और ईडी की टीम कल देर रात उनके घर पहुंची। दरवाजा बंद देख सीबीआई की टीम दीवार फांदकर अंदर गई और उन्हें गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद उन्हें सीबीआई मुख्यालय ले जाया गया। इससे पहले चिदंबरम ने कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके खुद को निर्दोष बताया।
गुरुवार को सीबीआई दो बजे उन्हें राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश करेगी। चिदंबरम की ओर से गुरुवार को ही जमानत याचिका दायर की जाएगी। आइए आपको बताते हैं कि आखिर क्या था आईएनएक्स स्कैम जिसने देश के पूर्व वित्त मंत्री को सलाखों को पीछे पहुंचा दिया। क्या है मामला?
चिदंबरम पर आईएनएक्स मीडिया को फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रोमोशन बोर्ड से गैरकानूनी रूप से स्वीकृति दिलाने के लिए 305 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने का आरोप है। इस केस में अभी तक चिदंबरम को कोर्ट से करीब दो दर्जन बार अंतरिम प्रोटेक्शन यानी गिरफ्तारी पर रोक की राहत मिली हुई है। ये मामला 2007 का है, जब पी चिदंबरम वित्त मंत्री के पद पर थे।आरोप है कि आईएनएक्स मीडिया को फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रोमोशन बोर्ड से गैरकानूनी रूप से स्वीकृति दिलाने के लिए 305 करोड़ रुपये की रिश्वत ली। इस मामले में सीबीआई और ईडी पहले ही चिदंबरम के बेटे कार्ति को गिरफ्तार कर चुकी हैं। वो फिलहाल जमानत पर हैं। इस मामले में अहम मोड़ तब आया, जब इंद्राणी मुखर्जी 4 जुलाई को सरकारी गवाह बन गईं। 2017 में सीबीआई ने इस मामले में फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रोमोशन बोर्ड से मिली स्वीकृति में गड़बड़ी पर एफआईआर दर्ज की। जबकि ईडी ने 2018 में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया। इस मामले में आईएनएक्स मीडिया की मालकिन और आरोपी इंद्राणी मुखर्जी को इस केस में अप्रूवर बनाया गया और इसी साल उनका स्टेटमेंट भी रिकॉर्ड किया गया। सीबीआई के मुताबिक मुखर्जी ने गवाही दी कि उसने कार्ति चिदंबरम को 10 लाख रुपये दिए।