दुर्ग: श्‍मशान घाट से बस्तियों तक पहुंच रही हैं अधजली लाशें!

छत्तीसगढ़ में अप्रैल का महीना बेहद डरावना लगने लगा है। रविवार को यहां, 10 हजार 521 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए। 82 की मौत हो गई। अब तक राज्य में 4.43 लाख लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 3.48 लाख लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 4,899 मरीजों की मौत हुई है। 90,277 मरीजों का इलाज चल रहा है। संक्रमण की तुलना में यहां एक्टिव रेट देश में सबसे ज्यादा है। अभी 18.4% एक्टिव मरीजों का यहां इलाज चल रहा है। छत्तीसगढ़ के दुर्ग से जो तस्वीरें सामने आ रही है वे बेहद चिंताजनक है। कोरोना से होने वाली मौतों की वजह से श्‍मशान घाट में पांव रखने की भी जगह नहीं बची है। जिले के लगभग सभी मुक्तिधामों में प्रतिदिन दर्जन भर से अधिक शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है, लेकिन फिर भी जगह कम पड़ रही है। महामारी के कहर को समझने के लिए यह स्थिति बेहद डरावनी हो गई है और इस बीच स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही भी सामने आ रही है जिसकी वजह से आम जनता में नाराजगी है।

छत्तीसगढ़ के दुर्ग ज़िले के जामुल पालिका क्षेत्र के लोग इन दिनों भारी दहशत में हैं, क्योंकि प्रतिदिन ज़िले में आ रहे कोरोना के आंकड़े एक ओर लोगों को डरा रहे हैं तो दूसरी ओर जामुल क्षेत्र में अंतिम संस्कार के लिए पहुंच रही लाशें लोगों के रोंगटे खडे़ कर रही हैं। जामुल पालिका क्षेत्र के एकमात्र मुक्तिधाम में प्रतिदिन कई लाशों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है, लेकिन जो बात सबसे ज्यादा डराने वाली है वो है कि यहां हर रात शवों को लाकर सांस्कृतिक मंच पर रख दिया जाता है और उसके बाद अगले दिन लाशों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। इस पूरी प्रक्रिया से ग्रामीण बेहद भयभीत हैं। इधर, ग्रामीणों को डराने का दूसरा कारण भी स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही ने दे दिया है।

न्यूज़18 की खबर के अनुसार ग्रामीणों का कहना है कि अंतिम संस्कार करने पहुंचने वाले कर्मचारी अपनी पीपीई किट खुले में ही फेंक रहे हैं। वहीं, कुछ शवों को ठीक से जलाया भी नहीं जा रहा। आलम यह हो गया है कि क्षेत्र के कुत्ते पीपीई किट पहने और अधजले शवों को लेकर बस्तियों में घुस रहे है। इससे पूरे जिले में दहशत का माहौल है।

रांची में श्मशान में जगह कम पड़ी, सड़क पर हो रहा अंतिम संस्कार

उधर, झारखंड की राजधानी रांची में भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है। यहां कोरोना से होने वाली मौताें ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। पिछले 10 दिनों में रांची के श्मशान और कब्रिस्तान में अचानक शवाें के आने की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। रविवार को रिकॉर्ड 60 शवों का अंतिम संस्कार हुआ। इनमें 12 शव काेराेना संक्रमिताें के थे, जिनका दाह संस्कार घाघरा में सामूहिक चिता सजाकर किया गया। इसके अलावा 35 शव पांच श्मशान घाटाें पर जलाए गए और 13 शवाें को रातू रोड और कांटाटोली कब्रिस्तान में दफन किया गया। सबसे अधिक शवों का दाह संस्कार हरमू मुक्ति धाम में हुआ। मृतकों की संख्या इतनी अधिक हो गई कि मुक्तिधाम में चिता जलाने की जगह कम पड़ गई। लोगों ने घंटों इंतजार किया, फिर भी जगह नहीं मिली तो लोग खुले में ही चिता सजाकर शव जलाने लगे। श्मशान में जगह नहीं रहने की वजह से मुक्तिधाम के सामने की सड़क पर वाहनों की पार्किंग में ही शव रखकर अंतिम क्रिया करने लगे। हालात ऐसे हो गए कि देर शाम मुक्तिधाम में कई लोग शव लेकर अपनी बारी का इंतजार करते रहे।