फिर एक्टिव हो सकता है चन्द्रयान-3, पहुंचने लगी सूर्य की रोशनी, संपर्क करने की कोशिश करेगा इसरो

नई दिल्ली। चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर के एक बार फिर जागने की उम्मीद है। 14 दिनों की रात के बाद चांद के साउथ पोल पर एक बार फिर सूरज की रोशनी पहुंचने लगी है। इसरो स्लीप मोड पर डाले गए विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर से आज यानी 22 सितंबर को संपर्क करने की कोशिश करेगा।

इसरो के मुताबिक, लैंडर और रोवर के सोलर पैनल पर सूरज की रोशनी पड़ते ही ये काम करना शुरू कर सकते हैं। इसरो ने 4 सितंबर को लैंडर को स्लीप मोड में डाला था। इससे पहले 2 सितंबर को रोवर को स्लीप मोड में डाला गया था। इसरो ने लैंडर-रोवर के रिसीवर ऑन रखे हैं।

एक बार फिर एक्टिव होंगे रोवर और लैंडर

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, इसरो के वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया कि ग्राउंड स्टेशन चंद्रमा पर धूप खिलने के बाद लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान को एक बार फिर एक्टिव करने का प्रयास करेगा। इससे चंद्रमा की सतह पर वह कुछ दिन और काम कर सकेंगे। बता दें कि चंद्रयान 3 को चांद पर केवल एक लूनर नाइट के लिए ही भेजा गया था। चंद्रमा पर एक दिन - रात पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होता है। इसलिए रोवर और लैडर को क्रमश: 2 और 3 सितंबर को स्लीपिंग मोड़ पर भेज दिया गया था।

इसरो वैज्ञानिक ने आगे कहा कि लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान के एक्टिव होने के चांसेस बहुत कम हैं। अगर संपर्क स्थापित हो भी जाता है तो, पूरी क्षमता हासिल करने की उम्मीद ना के बराबर है। इसरो वैज्ञानिक ने आगे कहा कि लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान के एक्टिव होने के चांसेस बहुत कम हैं। अगर संपर्क स्थापित हो भी जाता है तो, पूरी क्षमता हासिल करने की उम्मीद ना के बराबर है। यदि विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर पूरी क्षमता हासिल कर लेते हैं तो, दोनों अगले 14 दिनों तक चंद्रमा की सतह पर खोज करते रह सकते हैं। इस दौरान वो कई नई जानकारियां जुटा सकते हैं, जो वे ग्राउंड स्टेशनों को भेज रहे हैं।

रोवर ऐसी दिशा में कि सूर्य का प्रकाश सौर पैनल पर पड़े

इसरो ने लैंडर और रोवर को स्लीप मोड में डालने से पहले बैटरी को फुल चार्ज रखा था। रोवर को ऐसी दिशा में रखा गया था कि सूर्योदय होने पर सूर्य का प्रकाश सीधे सौर पैनलों पर पड़े। उम्मीद की जा रही है कि 22 सितंबर को ये फिर से काम करना शुरू करेगा।

चांद की सतह पर कई तरह के खनिज मौजूद

ज्ञातव्य है कि रोवर प्रज्ञान ने पता लगाया कि चांद पर सल्फर के साथ ही एल्यूमीनियम, लोहा, कैल्शियम, क्रोमियम, टाइटेनियम, मैंगनीज समेत कई दूसरे तत्व भी मौजूद हैं। यही नहीं प्रज्ञान ने खोज करके बताया कि चांद पर ऑक्सीजन का प्रचुर भंडार मौजूद है। हालांकि, ये गैसीय रूप में मौजूद नहीं है।

इसके अलावा चंद्रयान-3 के रोवर प्रज्ञान ने चांद की ऊबड़-खाबड़ सतह पर रॉक-एंड-रोल करते हुए 28 अगस्त को पता लगाया था कि चंद्रमा की सतह में कई खनिज प्रचुर मात्रा में है। रोवर प्रज्ञान में लेजर प्रेरित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोपी पेलोड लगा हुआ है। ये उपकरण शक्तिशाली लेजर्स का इस्तेमाल करके चट्टानों को प्लाज्मा में तोड़ता है।

लैंडिंग के साथ ही भारत ने रचा इतिहास

गौरतलब है कि इसरो ने 23 अगस्त को शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चांद की सतह पर चंद्रयान 3 की सॉफ्ट लैंडिंग कराई थी। इसके साथ भारत चंद्रमा के साउथ पोल पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन गया था, वहीं चंद्रमा पर जानें वाला दुनिया 4 देश बन गया था।