परीक्षा : अगर चांद पर नहीं मिली धूप तो बेजान हो जाएगा 'प्रज्ञान'

7 सितंबर 2019 रात के ठीक 1 बजकर 55 मिनट पर चंद्रयान-2 (Chandrayaan 2) चांद पर होगा। लैंडिंग के बाद 6 पहियों वाला प्रज्ञान रोवर विक्रम लैंडर से अलग हो जाएगा। इस प्रक्रिया में 4 घंटे का समय लगेगा। यह 1 सेमी प्रति सेकंड की गति से बाहर आएगा। 27 किलोग्राम का रोवर 6 पहिए वाला एक रोबॉट वाहन है। इसका नाम संस्कृत से लिया गया है, जिसका मतलब 'ज्ञान' होता है। रोवर प्रज्ञान चांद पर 500 मीटर (आधा किलोमीटर) तक घूम सकता है। इसमें दो प्लेलोड्स लगाए गए हैं। इसका डाइमेंशन 0.9x0.75x0.85 है। इसके बारे में सबसे महत्वपूर्ण जानकारी ये है कि इसकी मिशन लाइफ एक लूनर डे है। एक लूनर डे यानी चांद का एक दिन जो कि धरती के करीब 14 दिनों के बराबर है। यह सौर ऊर्जा की मदद से काम करता है। रोवर सिर्फ लैंडर के साथ संवाद कर सकता है।

चांद की सतह पर पहुंचने के बाद लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) 14 दिनों तक ऐक्टिव रहेंगे। चांद की कक्षा में पहुंचने के बाद ऑर्बिटर एक साल तक काम करेगा। इसका मुख्य उद्देश्य पृथ्वी और लैंडर के बीच कम्युनिकेशन करना है। ऑर्बिटर चांद की सतह का नक्शा तैयार करेगा, ताकि चांद के अस्तित्व और विकास का पता लगाया जा सके। लैंडर यह जांचेगा कि चांद पर भूकंप आते हैं या नहीं। जबकि, रोवर चांद की सतह पर खनिज तत्वों की मौजूदगी का पता लगाएगा। इसकी कुल लाइफ 1 ल्यूनर डे की है जिसका मतलब पृथ्वी के लगभग 14 दिन होता है।

सौर्य ऊर्जा से होगा चार्ज

चंद्रमा पर एक दिन की यात्रा के दौरान इसे धरती के अनुसार 14 दिन तक अपनी ऊर्जा से काम करना होगा, इसे अगर वहां सौर्य ऊर्जा मिलती रही तो इसकी सबसे कठिन परीक्षा भी पास हो जाएगी। प्रज्ञान वहां सौर ऊर्जा के जरिये स्वत: चार्ज होकर प्रथ्वी पर हमारे लिए चांद से संकेत भेजता रहेगा।

प्रज्ञान में मिशन पेलोड्स लगाए गए हैं जो ऑर्बिटर प्लेलोड्स भी कहे जाते हैं, ये एक तरह से रोवर की पूरी फंक्शनिंग है। इसमें लगे टेरेन मैपिंग कैमरा 2 एक संपूर्ण चांद का एक डिजिटल एलेवेशन मॉडल भेजेगा, जिससे चांद के कई और रहस्य पता चल पाएंगे।

इसमें दो लार्ज एरिया सॉफ्ट एक्सरे स्पेक्टो मीटर लगे हैं जिससे ये पता लग सकेगा कि चंद्रमा की परत पर मौजूद तत्वों में कौन कौन से कंपोजिशन हैं। इसमें सोलर एक्सरे मॉनीटर भी लगे हैं जो चंद्रमा से जुड़े राजों को खोलने में मददगार होगा।

मिशन प्लेलोड्स में इमेजिंग आईआर स्पेक्टोमीटर भी लगा है जो हमें ये बताएगा कि चांद की लूनर पर्त पर पानी है कि नहीं, इसके अलावा इसमें एक रडार भी लगी है जो कि पोलर रीजन की माप बताने के साथ साथ ये बताएगी कि यहां दूसरी पर्त में वॉटर आइस है कि नहीं है। इसके अलावा तीन और अन्य यंत्र लगे हैं जो कि ये चंद्रमा पर जीवन और उसके भविष्य व भूत से जुड़े तमाम रहस्यों की परतें खोलने में मददगार होगा।

बता दे, चंद्रयान-2 वास्तव में चंद्रयान-1 मिशन का ही नया संस्करण है। इसमें ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) शामिल हैं। चंद्रयान-1 में सिर्फ ऑर्बिटर था, जो चंद्रमा की कक्षा में घूमता था। चंद्रयान-2 के जरिए भारत पहली बार चांद की सतह पर लैंडर उतारेगा। यह लैंडिंग चांद के दक्षिणी ध्रुव पर होगी। इसके साथ ही भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर यान उतारने वाला पहला देश बन जाएगा।