Chandrayaan 2 : 95% सफल रहा मिशन, ऑर्बिटर 7 साल तक देता रहेगा चांद की जानकारी, ISRO ने हासिल की ये उपलब्धियां

चंद्रयान 2 (Chandrayaan 2) के लैंडर विक्रम का भले ही इसरो (ISRO) से संपर्क टूट गया। लेकिन वैज्ञानिकों के अनुसार ये मिशन 95% सफल रहा है। ISRO की ओर से दी गई ताजा जानकारी के मुताबिक मिशन ने अपना 5% हिस्सा ही खोया है, बाकी 95%, जो चंद्रयान 2 ऑर्बिटर है, सफलतापूर्वक चंद्रमा की परिक्रमा कर रहा है। यह चांद को और ज्यादा समझने में वैज्ञानिकों की मदद करेगा। हालाकि इस पूरे मिशन में गड़बड़ी कहां, कैसे और क्यों हुई इसके सवालों के लिए वैज्ञानिकों ने लंबा-चौड़ा डाटा खंगालना शुरू कर दिया है। इसरो के वैज्ञानिक इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए विक्रम लैंडर के टेलिमेट्रिक डाटा, सिग्नल, सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर, लिक्विड इंजन का विस्तारपूर्वक अध्ययन कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसरो के वैज्ञानिक 3 दिन बाद लैंडर विक्रम को ढूंढ निकालेंगे। दरअसल जहां से लैंडर विक्रम का संपर्क टूटा था, उस जगह पर आर्बिटर को पहुंचने में तीन दिन का समय लगेगा। वैज्ञानिकों के मुताबिक, टीम को लैंडिंग साइट की पूरी जानकारी है। आखिरी समय में लैंडर विक्रम रास्ते से भटक गया था, इसलिए अब वैज्ञानिक ऑर्बिटर के तीन उपकरणों के जरिये उसे ढूंढने की कोशिश करेंगे। ऑर्बिटर में ऐसे उपकरण है कि जिनके पास चांद के सतह को मापने, तस्वीरें खींचने की क्षमता है। अगर ऑर्बिटर (Orbiter) ऐसी कोई भी तस्वीर भेजता है तो लैंडर के बारे में जानकारी मिल सकती है। वैज्ञानिकों ने कहा कि अगर लैंडर विक्रम ने क्रैश लैंडिंग की होगी तो वह कई टुकड़ों में टूट चुका होगा। ऐसे में लैंडर विक्रम को ढूंढना और उससे संपर्क साधना काफी मुश्किल भरा होगा। लेकिन अगर उसके कंपोनेंट को नुकसान नहीं पहुंचा होगा तो हाई-रेजॉलूशन तस्वीरों के जरिए उसका पता लगाया जा सकेगा। इससे पहले इसरो चीफ के। सिवन ने भी कहा है कि अगले 14 दिनों तक लैंडर विक्रम से संपर्क साधने की कोशिशें जारी रहेंगी। इसरो की टीम लगातार लैंडर विक्रम को ढूंढने में लगी हुई है। इसरो चीफ के बाद देश को उम्मीद है कि अगले 14 दिनों में कोई अच्छी खबर मिल सकती है।

ऐसे में हम बताते है कि चंद्रयान 2 मिशन के दौरान ISRO ने क्या-क्या उपलब्धियां हासिल कीं

- चंद्रयान -2 मिशन एक बेहद जटिल मिशन था। इसने इसरो के पिछले मिशनों की तुलना में एक महत्वपूर्ण तकनीकी छलांग लगाने में मदद की। इसके तहत चंद्रमा के रहस्यों से भरे दक्षिणी ध्रुव का पता लगाने के लिए एक ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर को चांद पर भेजा गया था।

- 22 जुलाई 2019 को चंद्रयान -2 के लॉन्च के बाद से, न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया ने स्टेज दर स्टेज चंद्रयान 2 की प्रगति को बड़ी उम्मीदों और उत्साह के साथ देखा। यह एक अनोखा मिशन था जिसका मकसद चंद्रमा के केवल एक क्षेत्र का अध्ययन नहीं करना था बल्कि बाहरी क्षेत्र, सतह और एक ही मिशन में चंद्रमा के सभी क्षेत्रों का अध्ययन करना था।

- ऑर्बिटर को पहले से ही चंद्रमा के चारों ओर एक निश्चित कक्षा में रखा गया है और इसके आठ अत्याधुनिक वैज्ञानिक उपकरण सामान्य ढंग से काम कर रहे हैं। इसकी मदद से ध्रुवीय क्षेत्रों में चंद्रमा के विकास और खनिजों और पानी के अणुओं की मैपिंग की हमारी समझ बढ़ेगी।

- चंद्रयान 2 के ऑर्बिटर का कैमरा अब तक के किसी भी चंद्र मिशन की तुलना में ज्यादा बेहतर है और ऑर्बिटर उच्चतम रिज़ॉल्यूशन कैमरे (0.3m) की मदद से हाई रिज़ॉल्यूशन वाली तस्वीरें लेने में सक्षम है। यह तस्वीरें वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय के लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकती हैं।

- इसरो के सटीक लॉन्च और सही योजना वाले मिशन प्रबंधन के चलते चंद्रयान 2 का ऑर्बिटर एक साल के बजाय लगभग 7 साल के लंबे समय तक काम करेगा। लॉन्च के समय इसके 1 साल तक काम करने की उम्मीद की गई थी।

- विक्रम लैंडर ने 35 किमी की कक्षा में अच्छा प्रदर्शन किया। लैंडर के सभी सिस्टम और सेंसर ने इस बिंदु तक शानदार तरीके से काम किया और इसरो की कई नई तकनीकों पर मुहर लगाई। जैसे कि लैंडर में उपयोग की जाने वाली चर थ्रस्ट प्रोपल्शन तकनीक।

- मिशन के हर चरण के लिए सफलता के मानदंड की सटीक जानकारी मिली और मिशन के उद्देश्यों में से अब तक 90 से 95% तक काम पूरा हो चुका है। लैंडर के साथ संपर्क टूटने के बावजूद मिशन चंद्रयान 2 वैज्ञानिक प्रगति की दिशा में योगदान करना जारी रखेगा।

इसरो के चेयरमैन के. सिवन ने दूरदर्शन को दिए अपने इंटरव्यू में कहा कि हालांकि हमारा चंद्रयान 2 के लैंडर से संपर्क टूट चुका है, लेकिन वो लैंडर से दोबारा संपर्क स्थापित करने के लिए अगले 14 दिनों तक प्रयास करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि लैंडर के पहले चरण को सफलता पूर्वक पूरा किया गया। जिसमें यान की गति को कम करने में एजेंसी को सफलता मिली। हालांकि अंतिम चरण में आकर लैंडर का संपर्क एजेंसी से टूट गया। सिवन ने आगे कहा कि पहली बार हम चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्र का डाटा प्राप्त करेंगे। चंद्रमा की यह जानकारी विश्व तक पहली बार पहुंचेगी। चेयरमैन ने कहा कि चंद्रमा के चारों तरफ घूमने वाले आर्बिटर के तय जीवनकाल को सात साल के लिए बढ़ाया गया है। यह 7.5 सालों तक काम करता रहेगा। यह हमारे लिए संपूर्ण चंद्रमा के ग्लोब को कवर करने में सक्षम होगा।