चंद्रयान 2: समय बीतने के साथ टूट रहीं है लैंडर 'विक्रम' को वापिस खड़ा करने की उम्मीदें, अब सिर्फ 7 दिन का समय

गत 7 सितंबर को 'सॉफ्ट लैंडिंग' की प्रक्रिया के दौरान अंतिम क्षणों में चंद्रयान-2 (Chandrayaan 2) के लैंडर विक्रम (Lander Vikram) का भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) से संपर्क टूट गया था। जिसके बाद इसरो लगातार लैंडर विक्रम (Lander Vikram) से संपर्क साधने और उसे एक बार वापिस खड़ा करने की कोशिशें कर रहा है लेकिन बीतते समय के साथ लैंडर विक्रम से वैज्ञानिकों की पकड़ ढीली होती जा रही है। विक्रम की जिंदगी बचाने के लिए भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के पास अब एक हफ्ते का ही वक्त रह गया है।

दरअसल, विक्रम और उसके भीतर मौजूद रोवर प्रज्ञान को चांद की सतह पर एक चंद्र दिवस (धरती के 14 दिन के बराबर) का वक्त गुजारना था। ऐसे में इसरो के पास अब थोड़ा ही वक्त बचा है। इसरो के एक वैज्ञानिक ने बताया, जैसे-जैसे वक्त गुजरता जा रहा है, विक्रम से संपर्क करना जटिल होता जा रहा है। उसकी बैटरी खत्म हो रही है। वैज्ञानिकों ने चिंता जताई है कि अगर बैटरी खत्म हो गई तो विक्रम में जान फूंकने के लिए उसे बिजली देने वाला कोई नहीं होगा। हर गुजरते मिनट के साथ हालात बदतर ही होते जा रहे हैं। एक वैज्ञानिक ने बताया कि विक्रम दूर और दूर होता दिख रहा है। इसरो के वैज्ञानिक ने बताया कि विक्रम की स्थिति फिलहाल जस की तस है। यह अब भी बिजली पैदा कर सकता है। यह अपनी बैटरियों को सौर पैनलों से रिचार्ज कर सकता है। हालांकि, इसमें किसी तरह की प्रगति की उम्मीद अब धुंधली हो चली है।

बता दे, अगर विक्रम लैंडर सॉफ्ट लैंडिंग करने में सफल रहता तो इसके भीतर से रोवर बाहर निकलता और चांद की सतह पर वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देता। लैंडर को चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए डिजाइन किया गया था। इसके भीतर बंद रोवर का जीवनकाल एक चंद्र दिवस यानी कि धरती के 14 दिन के बराबर है। सात सितंबर की घटना के बाद से लगभग एक सप्ताह निकल चुका है और अब इसरो के पास केवल एक 7 दिन ही शेष बचे हैं।

इसरो ने कहा था कि वह 14 दिन तक लैंडर से संपर्क साधने की कोशिश करता रहेगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों की तमाम कोशिशों के बावजूद लैंडर से अब तक संपर्क स्थापित नहीं हो पाया है। हालांकि, चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने हार्ड लैंडिंग के कारण टेढ़े हुए लैंडर का पता लगा लिया था और इसकी थर्मल इमेज भेजी थी।

इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क में एक टीम लैंडर से पुन: संपर्क स्थापित करने की लगातार कोशिश कर रही है। सही दिशा में होने की स्थिति में यह सौर पैनलों के चलते अब भी ऊर्जा उत्पन्न कर सकता है और बैटरियों को पुन: चार्ज कर सकता है। लेकिन इसकी संभावना अब काफी कम बची है। इसरो के एक और वैज्ञानिक ने बताया, चांद की सतह पर विक्रम की हार्ड लैंडिंग ने उससे संपर्क करने के प्रयास को बेहद दुरूह बना दिया है। यह सही दिशा में नहीं है, जिससे विक्रम इसरो द्वारा भेजे जा रहे रेडियो संकेतों को ग्रहण नहीं कर पा रहा है। सतह पर झटके से उतरने के चलते हो सकता है कि विक्रम को खासा नुकसान पहुंचा हो।