दिल्ली: चुनाव से पहले बढ़ी केजरीवाल की मुश्किलें, शराब नीति मामले में ED को मिली मुकदमा चलाने की इजाज़त

नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका देते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है। यह मुकदमा विवादास्पद शराब घोटाला मामले से जुड़े धन शोधन में उनकी कथित संलिप्तता से संबंधित है।

यह कदम दिल्ली आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं की चल रही जांच को और तेज करने वाला है, एक ऐसा मामला जिसने पहले ही काफी सार्वजनिक और राजनीतिक ध्यान आकर्षित किया है। दोनों नेताओं पर अपने कार्यकाल के दौरान शराब लाइसेंस के आवंटन में वित्तीय कदाचार और भ्रष्टाचार का आरोप है, एक ऐसा आरोप जिसका उन्होंने लगातार खंडन किया है। प्राधिकरण ईडी को कानूनी कार्रवाई के साथ आगे बढ़ने की अनुमति देता है, जिससे इस हाई-प्रोफाइल मामले में एक नया आयाम जुड़ जाता है जिसमें पहले से ही कई गिरफ्तारियां और वित्तीय गड़बड़ी के आरोप हैं।

गृह मंत्रालय की यह मंजूरी तब मिली है जब दिल्ली की एक विशेष पीएमएलए अदालत ने अभियोजन के लिए आवश्यक मंजूरी के अभाव का हवाला देते हुए केजरीवाल के खिलाफ आरोप तय करने पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी थी।

केजरीवाल ने पहले दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, जिसमें तर्क दिया गया था कि पीएमएलए अभियोजन के लिए अनिवार्य मंजूरी के बिना ट्रायल कोर्ट ने समय से पहले काम किया। गृह मंत्रालय (एमएचए) द्वारा अब अपनी मंजूरी दिए जाने के बाद, ईडी अपनी जांच तेज करने के लिए तैयार है। यह घटनाक्रम दिल्ली विधानसभा चुनावों से ठीक पहले एक महत्वपूर्ण मोड़ पर आया है, जो केजरीवाल की राजनीतिक स्थिति और आम आदमी पार्टी (आप) की सार्वजनिक छवि को प्रभावित कर सकता है।

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने अगस्त 2023 में केजरीवाल के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आवश्यक प्रतिबंधों के साथ आरोपपत्र दाखिल किया था। दोनों एजेंसियों का आरोप है कि केजरीवाल और आप को साउथ ग्रुप से रिश्वत मिली, जो एक शराब गिरोह है जिसने कथित तौर पर 2021-22 के लिए विवादास्पद दिल्ली आबकारी नीति से लाभ उठाया।

यह मंजूरी दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा दी गई थी और इसके बाद केजरीवाल के खिलाफ आरोप तय किए जा सकते हैं। इससे केजरीवाल के लिए आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव (जो 5 फरवरी को होने वाले हैं) से पहले राजनीतिक चुनौतियां और बढ़ सकती हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर में यह फैसला दिया था कि सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने से पहले संबंधित मंत्रालय से पूर्व मंजूरी लेनी होगी। इसके बाद, ईडी ने उपराज्यपाल को एक पत्र भेजकर आरोप लगाया कि केजरीवाल “घोटाले के सरगना और मुख्य साजिशकर्ता” हैं और मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी थी।

हालांकि, AAP ने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है, जिसमें उनका दावा है कि बिना पूर्व मंजूरी के आरोपपत्र दायर करना अवैध है।

यह घटनाक्रम केजरीवाल के लिए उनके राजनीतिक भविष्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है, खासकर आगामी चुनाव को देखते हुए।