इंटेलीजेंस ब्यूरो कर रहा था CBI चीफ आलोक वर्मा की जासूसी! घर के बाहर अफसरों के साथ बर्ताव पर नाराज IB

सीबीआई (CBI vs CBI) में चल रहा घमासान अब दफ्तरों से निकल कर बीच सड़क पर आ गया है। गुरुवार सुबह छुट्टी पर भेजे गए CBI के डायरेक्टर आलोक वर्मा (Alok Verma) के घर के बाहर से 4 संदिग्ध लोगों को पकड़ा गया है। इन सभी पर आलोक वर्मा के घर के बाहर संदिग्ध गतिविधियां करने का आरोप है। इन चारों को आलोक वर्मा के पीएसओ ने पकड़ा है और घर के अंदर ले गए हैं। दिल्ली पुलिस ने सभी को हिरासत में ले लिया है और इनसे पूछताछ की जा रही है।

अब खबरे आ रही है कि, जिन संदिग्ध लोगों को आलोक वर्मा के घर के पास पकड़ा गया है, वे इंटेलीजेंस ब्यूरो ( Intelligence Bureau )के बताए जा रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि ये लोग आलोक वर्मा पर नजर बनाए हुए थे। अब आई बी सूत्रों ने कहा कि आई बी के उच्च अधिकारी अपने चार अफ़सरों के साथ हुए बर्ताव से बेहद नाराज़ है। उनका कॉलर पकड़ कर उन्हें घसीटते हुए ले जाना बिल्कुल गलत है। मीडिया में चल रही तस्वीरों को देख आई बी के दूसरे अफ़सरों का मोराल डाउन हो रहा है। चारों अफ़सरों की पहचान भी ज़ाहिर हो गई है जिससे नाराज़गी है। ये मामला बेहतर तरीके से संभाला जा सकता था। आलोक वर्मा के सुरक्षाकर्मियों को बताने के बावजूद कि वो दूसरी सुरक्षा एजेंसी से हैं फिर भी उनके साथ ग़लत बर्ताव किया गया।

इससे पहले आईबी सूत्रों ने कहा कि दिल्ली के हाई सिक्योरिटी जोन में रोजाना बेसिस पर पेट्रोलिंग के लिए आईबी यूनिट्स की रूटिन के अनुसार तैनाती होती है। हम चेक कर रहे हैं कि हकीकत में क्या है मामला।

सीबीआई में छिड़ी जंग में मोदी सरकार विपक्ष के निशाने पर है। सीबीआई के 55 सालों के इतिहास में एक अभूतपूर्व घटनाक्रम के तहत सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना से रातोंरात उनकी जिम्मेदारियां पूरी तरह से वापस ले ली गईं। आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के बीच मचे घमासान के और तेज होने से जांच एजेंसी में गंभीर होते हालात के बीच यह कदम उठाया गया। केंद्र सरकार ने स्थिति को संभालने की कोशिश के तहत 1986 के ओडिशा कैडर के आईपीएस अधिकारी और सीबीआई में संयुक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को ‘अंतरिम उपाय' के तहत ‘‘तत्काल प्रभाव'' से निदेशक के ‘‘दायित्वों और कामकाज'' को देखने के लिये नियुक्त किया।

आधीरात के करीब प्रभार लेने के फौरन बाद राव ने करीब एक दर्जन अधिकारियों के स्थानांतरण का आदेश दिया जिनमें से एक को पोर्ट ब्लेयर भेजा गया है। इसके साथ ही उन्होंने अस्थाना के खिलाफ घूस और जबरन वसूली के आरोपों की जांच के लिये नए सिरे से टीम का गठन किया है। जिन अधिकारियों का स्थानांतरण किया गया है उनमें से अधिकतर गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी अस्थाना के खिलाफ जांच कर रही टीम का हिस्सा थे। आलोक वर्मा ने हालांकि बुधवार को सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। उनकी याचिका पर न्यायालय शुक्रवार को सुनवाई के लिये सहमत हो गया है

क्या है मामला?

गौरतलब है कि CBI ने राकेश अस्थाना (स्पेशल डायरेक्टर) और कई अन्य के खिलाफ कथित रूप से मीट कारोबारी मोइन कुरैशी की जांच से जुड़े सतीश साना नाम के व्यक्ति के मामले को रफा-दफा करने के लिए घूस लेने के आरोप में FIR दर्ज की थी। इसके एकदिन बाद डीएसपी देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार किया गया। इस गिरफ्तारी के बाद मंगलवार को सीबीआई ने अस्थाना पर उगाही और फर्जीवाड़े का मामला भी दर्ज किया।

सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच छिड़ी इस जंग के बीच, केंद्र ने सतर्कता आयोग की सिफारिश पर दोनों अधिकारियों को छु्ट्टी पर भेज दिया। और जॉइंट डायरेक्टर नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक बना दिया गया। चार्ज लेने के साथ ही नागेश्वर राव ने मामले से जुड़े 13 अन्य अधिकारियों का ट्रांसफर कर दिया।