साल 2014 के लोकसभा चुनाव के वक्त प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी का खुला समर्थन करने वाले योग गुरु बाबा रामदेव का भरोसा अब डगमगाता प्रतीत हो रहा है। आगामी 2019 चुनाव से पहले बाबा रामदेव ने कहा कि राजनीतिक हालात कठिन हैं, ये कह पाना मुश्किल है कि 2019 में देश का अगला पीएम कौन होगा। वो न तो किसी का समर्थन करते हैं और न ही किसी का विरोध करते हैं।
उन्होंने कहा कि भारत को सांप्रदायिक या हिंदू राष्ट्र बनाने का मकसद नहीं होना चाहिए बल्कि हमें आध्यात्मिक भारत और आध्यात्मिक विश्व बनाने की दिशा में काम करना होगा।
बाबा रामदेव को राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक मुद्दों पर बेबाकी से अपनी राय रखने के लिए जाना जाता है। इससे पहले बाबा रामदेव ने साफ कर दिया था कि वह 2019 में बीजेपी के लिए कैंपेनिंग नहीं करेंगे। उन्होंने कहा था कि 2019 के लोकसभा चुनावों में वो राजनीति से दूर रहेंगे।
2014 में उन्होंने खुलकर नरेंद्र मोदी का इसलिए साथ दिया था क्योंकि तब संकट का समय था जो अब नहीं है। इसलिए अब वो सर्वदलीय भी हैं और निर्दलीय भी। बाबा रामदेव ने कहा था कि मैं हमेशा राष्ट्र प्रथम के सिद्धांत पर कार्य करता हूं। मेरी राजनीतिक भूमिका यह सुनिश्चित करने के लिए सीमित है कि देश अच्छे लोगों द्वारा शासित है। मैंने खुद को राष्ट्र निर्माण, चरित्र निर्माण, शिक्षा, कृषि और स्वास्थ्य जैसे अन्य मुद्दों के लिए समर्पित किया है। इसलिए, मैं खुद को गैर-राजनीतिक, स्वतंत्र व्यक्ति के रूप में देखता हूं जो मां भारत की सेवा में है।
योग गुरु बाबा रामदेव का नसीरुद्दीन शाह पर वारहाल ही में बॉलीवुड अभिनेता नसीरुद्दीन शाह द्वारा बुलंदशहर हिंसा को लेकर दिए गए बयान को लेकर हुए बवाल पर भी योगगुरु ने अपनी राय रखी थी। नसीरुद्दीन शाह के बयान पर अपनी प्रतिकिया देते हुए बाबा रामदेव ने कहा 'नसीरुद्दीन शाह जैसे लोग जो इस देश से शोहरत पाते हैं, सेलब्रेटी बन जाते हैं, करोड़ों-अरबों की दौलत पा जाते हैं और उसके बाद जिस तरह से देश को कोस रहे हैं, पूरे देश को कटघरे में खड़ा करते हैं तथा पूरी दुनिया में भारत की बदनामी करते हैं यह देश के साथ धोखा और गद्दारी है।' उन्होंने कहा 'जितनी आजादी और सहिष्णुता भारत में है उतनी दुनिया के किसी मुल्क में नहीं है। इसके बावजूद भी एक दो घटनाओं को लेकर पूरे देश को बदनाम करना अशोभनीय है। पाकिस्तान के लेकर दुनिया के जो दूसरे देश हैं वो हम पर हसते हैं और रेफरेंस के तौर पर नसीरुद्दीन जैसे लोगों के बयान को खोजते हैं।'
इसके अलावा भगवान हनुमान की जाति को लेकर चल रहे बयानों के दौर पर भी रामदेव ने तल्ख टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि हनुमान जी को जाति से जोड़ना महापुरुषों का अनादर है। वहीं योगगुरु रामदेव के इस ताजा बयान को मौजूदा राजनीतिक हालात से जोड़कर देखा जा रहा है, जहां कांग्रेस ने राहुल गांधी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी को मात देते हुए मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान की सत्ता में वापसी की है।