Budget 2019: योगेंद्र यादव ने कसा तंज, 'बजट में ना खाता न बही, जो निर्मला कहें वो सही...'

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट संसद में पेश किया। बजट के बाद विपक्षी पार्टियाँ मिलकर एक सुर में इस बजट को 'ज़ीरो बजट' करार दिया है। योगेंद्र यादव ने कहा किसानों के लिए इस बजट में कोई प्रावधान नहीं है।

बजट 2019 पर योगेंद्र यादव ने ट्वीट करते हुए कहा कि 'कम से कम किसान के लिए तो यह

ज़ीरो बजट स्पीच थी:
न सूखे का जिक्र,
न आय दोगुना करने की योजना,
न किसान सम्मान निधि का विस्तार,
न MSP रेट किसान को दिलवाने की पुख्ता योजना,
न आवारा पशु से निपटने की कोई तरकीब।'

उन्होंने कहा, 'मोदीजी को झोली भर के वोट देने वाले किसान ने बजट सुनना शुरू करते हुए गुनगुनाया:- आज हम अपनी दुआओं का असर देखेंगे। बजट स्पीच के अंत में उसने निराश होकर बोला- आज की रात बचेंगे तो सहर (सुबह) देखेंगे।'

उन्होंने के. सुब्रमणयन के बही खाता वाले बयान पर तंज कसते हुए कहा, 'बजट में ना खाता न बही, जो निर्मला कहें वो सही। जीरो बजट फार्मिंग की बात की लेकिन ये जीरो बजट स्पीच है। किसानों को उम्मीद थी लेकिन, सूखे का ज़िक्र नहीं। बटाईदार, ठेके पर खेती करने वालों का कोई जिक्र नहीं।'

बता दे, इस बार बजट के दौरान पहली बार एक अलग तस्वीर दिखने को मिली। असल में, बजट अप्रूवल के लिए वरिष्ठ अफसरों और वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर के साथ केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलने पहुंचीं। अब तक हमने यह देखा है कि वित्त मंत्री लेदर का ब्रीफकेस लेकर बजट पेश करने संसद पहुंचते थे। लेकिन इस बार ऐसा नही हुआ। इस बार बजट ब्रीफकेस की बजाय लाल रंग के मखमली कपड़े में बंधा दिखा। इसे एक बड़े बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है। भारत में बही खाता को भी लाल रंग के कपड़े में बांध कर रखने की परंपरा रही है। दफ्तरों में भी दस्तावेजों को लाल कपड़े में बांधकर रखने की परंपरा रही है। इस पर समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने कहा कि यह भारतीय परंपरा है। यह पश्चिमी विचारों की गुलामी से हमारे मुक्त होने का संकेत है। यह बजट नहीं है, यह बही खाता है।