सरकार बनाने के लिए BJP अभी भी कर रही है संपर्क : उद्धव ठाकरे

महाराष्ट्र की सियासत में सरकार बनाने को लेकर संग्राम मचा है और इसी संग्राम के बीच मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। बता दे, महाराष्ट्र में फिलहाल राष्ट्रपति शासन लागू हो गया है और इस फैसले के खिलाफ शिवसेना सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। वही इससे पहले मंगलवार को शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कहा कि भाजपा महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए अनाधिकारिक माध्यमों से अभी भी हमसे संपर्क कर रही है। ठाकरे ने कहा कि वे हर बार अस्पष्ट और अलग-अलग प्रस्ताव दे रहे हैं। लेकिन हमने कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ जाने का निर्णय लिया है।

ठाकरे ने राकांपा अध्यक्ष शरद पवार के उस बयान का जिक्र करते हुए भाजपा पर हमला बोला, जिसमें उन्होंने कहा कि शिवसेना ने औपचारिक रूप से पहली बार सोमवार को उनसे (कांग्रेस-राकांपा) संपर्क किया। उद्धव ने कहा कि वे हमारे ऊपर भाजपा को छोड़कर हर किसी से पहले से ही बात करने आरोप लगा रहे हैं, लेकिन अब सच्चाई सामने आ गई है। हमारे पास बातचीत का समय था, लेकिन मैं इस दिशा में नहीं जाना चाहता था, जिस दिशा में चर्चा हो रही है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्यपाल बी एस कोश्यारी ने किस तरह उन्हें दो दिन का समय नहीं दिया, लेकिन अब उन्होंने दूसरे दलों को समर्थन पत्र के लिए छह महीने (राष्ट्रपति शासन) का समय दे दिया।

ठाकरे ने भाजपा की चुटकी पर चुटी लेते हुए कहा कि जब से उन्होंने हमें शुभकामनाएं दी हैं, लगता है यह हमें दिशा दिखा रहा है। हम उन्हें निराश नहीं करेंगे। कांग्रेस-राकांपा के साथ वैचारिक मतभेदों के सवाल पर ठाकरे ने भाजपा द्वारा विपरीत विचारधारा की पार्टियों से किए गए गठबंधन पर सवाल उठा दिया, जिसमें नीतीश कुमार, रामविलास पासवान, चंद्रबाबू नायडू और अन्य शामिल हैं।

महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन के बाद बीजेपी नेता नारायण राणे ने कहा है कि सरकार बनाने के लिए जो भी करना पड़ेगा वो करेंगे। नारायण राणे ने कहा कि शिवसेना को बेवकूफ बनाया जा रहा है, उन्हें नहीं लगता है कि कांग्रेस और एनसीपी उद्धव के साथ आएंगे। नारायण राणे ने कहा कि महाराष्ट्र में बीजेपी की सरकार बनाने के लिए उन्हें जो कुछ करना पड़ेगा वो करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि वो जब भी राज्यपाल के साथ जाएंगे 145 विधायकों का नाम लेकर जाएंगे। पूर्व शिवसैनिक और उद्धव के प्रतिद्वंदी रहे नारायण राणे ने कहा कि शिवसेना ने ही उन्हें साम-दाम दंड भेद सिखाया है।

खबर है कि एनसीपी और कांग्रेस शिवसेना का साथ देना चाहती है लेकिन उनकी कुछ शर्तें है। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस और एनसीपी की बैठक में मुख्यमंत्री पद को लेकर भी चर्चा हुई है। मीटिंग में एनसीपी ने फॉर्मूला रखा कि शिवसेना और उसके बीच ढाई-ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद का बंटवारा किया जाए, जबकि कांग्रेस को पूरे पांच साल के लिए डिप्टी सीएम का पद मिले।

मुंबई में एनसीपी ने जहां सीएम और डिप्टी सीएम के फॉर्मूले की चर्चा की तो वहीं दिल्ली में कांग्रेस के खेमे से कैबिनेट का फॉर्मूला सामने आया। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, पार्टी तीनों दलों में सत्ता की बराबर भागीदारी चाहती है। कांग्रेस का फॉर्मूला है कि 42 कैबिनेट मंत्री बनाए जाएं और उनमें से शिवसेना और एनसीपी के साथ 14-14 मंत्री बांटे जाएं। यानी कांग्रेस-शिवसेना और एनसीपी के 14-14 मंत्री सरकार में रहें। इसके साथ ही कांग्रेस की नजर गृह और राजस्व जैसे अहम मंत्रालयों पर है। कांग्रेस का मानना है कि इस तरह के महत्वपूर्ण मंत्रालयों का बंटवारा भी उचित होना चाहिए। यानी सबसे कम विधायक होने के बावजूद भी कांग्रेस सरकार में मजबूती के साथ रहना चाहती है। वहीं, शिवसेना का मुख्यमंत्री होने की सूरत में दो उप-मुख्यमंत्री का फॉर्मूला भी चर्चा के केंद्र में है।