100 से ज्यादा मासूमों की मौत के बाद जागे नीतीश कुमार, आज जाएंगे मुजफ्फरपुर

बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार यानी एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) से मरने वाले बच्चो की संख्या 105 पहुंच गई है। मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज व अस्पताल (एसकेएमसीएच) और केजरीवाल अस्पताल में 375 बच्चे एडमिट हैं। चमकी बुखार के रोकथाम को लेकर अब तक जो भी प्रयास किए जा रहे हैं वो स्थिति को देखते हुए नाकाम साबित हो रहे हैं। राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर नीतीश सरकार पर सवाल खड़े हो रहे हैं। चमकी बुखार से पीड़ित ज्यादातर मरीज मुजफ्फरपुर के सरकारी श्रीकृष्णा मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल और केजरीवाल अस्पताल में एडमिट हैं।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे के खिलाफ बीमारी से पहले एक्शन नहीं लेने के आरोप में केस दर्ज हुआ है। बच्चों की मौत पर मानवाधिकार आयोग ने केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस भेजा है। वहीं चमकी बुखार पर मचे सियासी बवाल के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज (मंगलवार) सुबह 10:30 बजे मुजफ्फरपुर अस्पताल का दौरा करेंगे।

मुख्यमंत्री ने बुलाई उच्चस्तरीय बैठक

इससे पहले बिहार में महामारी की तरह फैल रहे चमकी बुखार को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को उच्चस्तरीय बैठक की। जिसके बाद मुख्य सचिव दीपक कुमार ने बताया, सरकार ने फैसला किया है कि उनकी टीम हर उस घर में जाएगी जिस घर में इस बीमारी से बच्चों की मौत हुई है, टीम बीमारी के बैक ग्राउंड को जानने की कोशिश करेगी, क्योंकि सरकार अब तक यह पता नहीं कर पाई है कि आखिर इस बीमारी की वजह क्या है। कई विशेषज्ञ इसकी वजह लीची वायरस बता रहे हैं, लेकिन कई ऐसे पीड़ित भी हैं, जिन्होंने लीची नहीं खाई।

मानवाधिकार आयोग ने मांगी रिपोर्ट

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मुजफ्फरपुर जिले में इंसेफेलाइटिस वायरस की वजह से बच्चों की मौत की बढ़ती संख्या पर सोमवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और बिहार सरकार से रिपोर्ट दाखिल करने के लिए एक नोटिस जारी किया है। मानवधिकार आयोग ने कहा कि सोमवार को बिहार में एईएस से मरने वाले बच्चों की संख्या बढ़कर 100 से ज्यादा हो गई है और राज्य के अन्य जिले भी इससे प्रभावित हैं। इसके साथ ही आयोग ने इंसेफेलाइटिस वायरस और चमकी बुखार की रोकथाम के लिए उठाए गए कदमों की स्टेटस रिपोर्ट भी मांगी है। मानवधिकार आयोग ने चार हफ्तों में जवाब मांगा है।

चमकी बुखार से राज्य के 12 जिले प्रभावित

नीतीश कुमार की बैठक में फैसला किया गया कि चमकी से प्रभावित बच्चों को निशुल्क एंबुलेंस मुहैया कराई जाएगी और पूरे इलाज का खर्च सरकार उठाएगी। वहीं इस बीमारी से मरने वालों के परिजनों को 4 लाख रुपये मुआवजा दिया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने कहा कि चमकी बुखार से बिहार के कुल 12 जिले के 222 प्रखंड प्रभावित हैं। लेकिन इनमें से 75 प्रतिशत केस मुजफ्फरपुर में हैं।

बता दें कि पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र सिंह कुशवाहा ने भी सोमवार को अस्पताल का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि 5 साल पहले भी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने जांच का ऐलान और 100 बेड के सुपर स्पेशलिटी वाले यूनिट के निर्माण का ऐलान किया था। 2014 में 379 बच्चों की मौत हुई थी।

आपको बता दें कि बिहार के मुजफ्फरपुर में साल दर साल एक ही बीमारी से बच्चे मरते रहे हैं। रोकथाम के नाम पर अमेरिका से जापान तक का दौरा होता रहा लेकिन कुछ नहीं हुआ। इस बार भी जब बच्चों की मौतें जारी हैं, तो स्वास्थ्य विभाग इलाज के बजाय ऊपर वाले के रहम पर भरोसा कर रहा है। विभाग चाहता है कि जल्द बारिश हो, जिससे महामारी का प्रकोप थमे। गर्मी बढ़ने के साथ मुजफ्फरपुर में हालात और खराब हो गए हैं। अगर सरकार ने बनी योजना पर अमल किया होता तो मुजफ्फरपुर में बच्चों की जान बचाई जा सकती थी। वहां अब तक इंसेफलाइटिस पर रोकथाम के लिए सरकार ने रिसर्च और इलाज का उपाय खोजने में 100 करोड़ से ऊपर खर्च किया है लेकिन फिर भी मौतें जारी हैं। रिपोर्ट के अनुसार जिन बच्चों की मौत छोटे अस्पतालों में या घर पर ही हो गईं, उनके आंकड़े शामिल नहीं किए गए। गैर सरकारी आंकड़ा है कि दो हजार से ज्यादा बच्चे पीड़ित हैं।

क्या है चमकी बुखार

एईएस (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) और जेई (जापानी इंसेफलाइटिस) को उत्तरी बिहार में चमकी बुखार के नाम से जाना जाता है। इससे पीड़ित बच्चों को तेज बुखार आता है और शरीर में ऐंठन होती है। इसके बाद बच्चे बेहोश हो जाते हैं। मरीज को उलटी आने और चिड़चिड़ेपन की शिकायत भी रहती है।