बिहार: नहीं थम रहा चमकी बुखार का कहर, 5 बच्चों की और हुई मौत, आंकड़ा 135 पहुंचा

बिहार में फैले जानलेवा चमकी बुखार का कहर लगातार बढ़ता ही जा रहा है। मुजफ्फरपुर में बच्चों की मौत का सिलसिला अब भी थमता नहीं दिख रहा है। मंगलवार को भी यहां चमकी बुखार से 5 बच्चों की मौत हो गई। इसके साथ ही अब मुजफ्फरपुर में इस बुखार से बच्चों की मौत का आंकड़ा 115 तक पहुंच गया है। वहीं पूरे बिहार में ये आंकड़ा 135 हो गया है।

बता दें कि कल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने मुजफ्फरपुर के SKMCH अस्पताल का दौरा किया था। हालाकि, इस दौरान उन्हें आम लोगों की नाराजगी झेलने पड़ी। लोगों ने 'नीतीश वापस जाओ' के नारे लगाए। दरहसल, नीतीश के पहुंचने के बाद बच्चों के मां बाप को उम्मीद थी कि उनके नौनिहालों के साथ हवा में तीर की तरह हो रहे इलाज का कुछ इलाज होगा, दवाएं मिलेंगी, अस्पताल की सेहत सुधरेगी, लेकिन सीएम साहब की पर्देदारी देखकर लोगों के सब्र का बांध टूट गया। लोग नारे लगाते रहे और नीतीश अस्पताल प्रशासन की पीठ थपथपाकर आराम से निकल लिए।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों और चिकित्सकों के साथ बैठक की और कई आवश्यक निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि परिजन से बात करने पर यह जानकारी मिली कि भूख नहीं लगने के कारण रात में बच्चा बिना भोजन किए ही सो गया और सुबह में उनकी तबियत खराब हो गयी, इसलिए इस पहलू से भी देखना होगा कि कहीं दिन में ही उसकी ऐसी स्थिति तो नहीं हो गई थी जिसके कारण बच्चे को रात में भूख महसूस नहीं हुई। नीतीश कुमार ने कहा कि पूरा इलाका, जो चमकी बुखार (एईएस) से प्रभावित है, उसका वातावरणीय अध्ययन कराकर यह विश्लेषण करना होगा कि इससे बचाव के लिए प्राकृतिक और तकनीकी तौर पर क्या किया जा सकता है। गर्मी में अक्सर मच्छर गायब हो जाते हैं, लेकिन उच्च तापमान, अस्वच्छता और आर्द्रता के कारण अगर प्रभावित इलाकों में मच्छर पाए जाते हैं तो उसका भी उपाय करना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रभावित परिवारों के सामाजिक-आर्थिक अध्ययन के साथ-साथ साफ-सफाई के लिहाज से उनके घरों के वातावरण का भी आकलन करना होगा। उन्होंने अधिकारियों से कहा, ‘‘पेयजल की गुणवत्ता तो कहीं खराब नहीं है, उसकी भी निगरानी करवाइए। एक भी कच्चा घर नहीं रहे, इसके लिए प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना और मुख्यमंत्री आवास योजना के जरिए जो मकान बनाए जाने हैं, उस पर भी ध्यान दीजिए।’’

केंद्र सरकार भेजेगी डॉक्टरों की 5 टीम

वहीं मुजफ्फरपुर में हालात से निटने को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन (Harsh Vardhan) ने डॉक्टरों की 5 टीम भेजने के निर्देश दिये हैं। इसमें बच्चों के 10 डॉक्टर और 5 सहायक होंगे। बच्चों के डॉक्टर्स में 5 सीनियर कंसलटेंट भी शामिल हैं। वहीं सहायक के तौर पर राम मनोहर लोहिया, सफदरजंग और लेडी हार्डिंग हॉस्पिटल के लोग मुजफ्फरपुर जाएंगे।

बता दें कि चमकी बुखार से हो रही मौतों का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। दो वकीलों ने जनहित याचिका दायर कर मांग की है कि बीमारी से प्रभावित इलाकों में केंद्र और बिहार सरकार को 500 आईसीयू बनाने का आदेश दिया जाए, प्रभावित इलाकों में मेडिकल एक्सपर्ट टीम भेजने के निर्देश दिए जाएं और 100 मोबाइल ICU मुजफ्फरपुर भेजे जाएं। इसके साथ ही मेडिकल बोर्ड का गठन किया जाए। याचिका में यह भी कहा गया है कि बिहार सरकार स्थिति को संभालने में नाकाम रही है जिसकी वजह से 100 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई है। इसलिए अब कोर्ट का दखल जरूरी है। यह याचिका मनोहर प्रताप और संप्रीत सिंह अजमानी ने दाखिल की है।

सरकार खर्च वहन करेगी

यहां पत्रकारों को संबोधित करते हुए मुख्य सचिव दीपक कुमार ने कहा कि बीमार बच्चों को अस्पताल लाने के लिए 400 रुपए का भुगतान किया जाएगा और सभी बीमार बच्चों के इलाज का खर्चा सरकार वहन करेगी। मुख्य सचिव ने कहा कि रात में खाली पेट नहीं सोएं और बीमार होने की स्थिति में मरीजों को तुरंत अस्पताल पहुंचाया जाए। इसे लेकर गांव-गांव लोगों के बीच जागरूकता पैदा की जाए और आशा, एएनएम कार्यकर्ता और आंगनबाड़ी सेविका के माध्यम से वहां ओआरएस पहुंचाया जाए जहां यह नहीं पहुंचा है।

उन्होंने कहा कि बीमारी के कारण के प्रति अलग-अलग राय को लेकर चिकित्सकों से बातचीत करने पर इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं इससे प्रभावित हुए करीब 400 बच्चों के घरों पर वातावरणीय अध्ययन एवं सामाजिक-आर्थिक स्थिति जानने के लिए एक टीम कल से जाएगी। दीपक ने कहा कि हम लोग एसकेएमसीएच में बच्चों के इलाज के लिए किए जा रहे प्रयास से संतुष्ट हैं और किसी भी बीमार बच्चे के अभिभावक ने कोई शिकायत नहीं की है। वहां केंद्रीय टीम के साथ साथ आईसीएमआर का दल शोध के लिए पहुंचा है।