आरोपियों को सीन रिक्रिएशन के लिए आखिर आधी रात में ही क्यों ले गई पुलिस?

तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद गैंगरेप के चारों आरोपियों को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया है। यह एनकाउंटर नेशनल हाइवे-44 के पास गुरुवार देर रात हुआ। रिमांड के दौरान पुलिस क्राइम सीन रिक्रिएट कराने के लिए सभी आरोपियों को गुरुवार देर रात घटनास्थल पर ले गई थी। पुलिस पूरे घटना को आरोपियों की नजर से समझना चाह रही थी। पुलिस के मुताबिक चारों आरोपियों ने मौके से भागने की कोशिश की। पुलिस ने चारों आरोपियों को ढेर कर दिया है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि अगर यह आरोपी भाग जाते तो बड़ा हंगामा खड़ा हो जाता इसलिए पुलिस के पास दूसरा कोई रास्ता नहीं था और जवाबी फायरिंग में चारो आरोपी मारे गए। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि यह एनकाउंटर आज तड़के 3 बजे से 6 बजे के बीच हुआ है।

पुलिस द्वारा किए गए इस एनकाउंटर से देशभर में भले ही खुशी की लहर हो लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि आखिर पुलिस को इतनी भी क्या जल्दी थी कि सभी आरोपियों को आधी रात में सीन रिक्रिएशन के लिए घटना स्थल पर लेकर पहुंच गई। ये सवाल भले ही सभी के जेहन में हो लेकिन पुलिस की थ्योरी पर विश्वास करें तो उन्होंने इसके पीछे सुरक्षा का हवाला दिया है। पुलिस ने बताया कि महिला डॉक्टर की गैंगरेप के बाद जिस तरह से हत्या की गई थी उसके बाद से लोगों में काफी गुस्सा था।

पुलिस का कहना है कि जब शादनगर पुलिस थाने में अरोपियों को रखा गया था उस समय भी उन्हें मारने के लिए भीड़ इकट्ठा हुई थी। उस वक्त किसी तरह पुलिस ने भीड़ को थाने में घुसने से रोक लिया था। पुरानी घटना को देखते हुए पुलिस कोई खतरा नहीं लेना चाहती थी। अगर पुलिस आरोपियों को दिन के उजाले में घटना स्थल पर लेकर जाती तो भीड़ उन पर हमला कर सकती थी। यही कारण है कि पुलिस रात के अंधेरे में आरोपियों को घटना स्थल पर लेकर पहुंची थी। जिस जगह पर ये एनकाउंटर किया गया वहां पर सिर्फ एक घर था। इस घर में एक ही सदस्य मौजूद था, जिसने बताया है कि सुबह चार बजे उसे चार-पांच गोलियों की आवाज सुनाई दी थी। ऐसे में जब चारों आरोपियों को मारने में जब चार गोलियां चली हुई होंगी तो आरोपियों ने कब पुलिस पर फायरिंग की, जिसकी आवाज तक नहीं आई। हालांकि साइबराबाद पुलिस कमिश्नर वीसी सज्जनार ने बताया है कि इस एनकाउंटर में दो पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं।

बता दे, बीजेपी की सांसद मेनका गांधी ने इस पूरी घटना पर कहा कि जो हुआ वह बहुत भयानक हुआ इस देश के लिए। आप लोगों को ऐसे नहीं मार सकते हैं। आप कानून को अपने हाथ में नहीं ले सकते हैं। वे आरोपी थे और वैसे भी कोर्ट से उन्हें फांसी की सजा मिलती। उन्‍होंने कहा कि ऐसा होने लगे तो फिर फायदा क्‍या है कानून का, फायदा क्‍या है सिस्‍टम का। मेनका ने कहा, 'इस तरह तो अदलात और कानून का कोई फायदा ही नहीं, जिसको मन हो बंदूक उठाओ जिसको मारना हो मारो। कानूनी प्रक्रिया में गए बिना आप उसे मार रहे हो तो फिर कोर्ट, कानून और पुलिस का क्‍या औचित्‍य रह जाएगा।