2 अक्टूबर विशेष : गांधीजी का 'भारत छोड़ो आंदोलन', आजादी की लड़ाई में था महत्वपूर्ण योगदान

2 अक्टूबर 1869 को भारत के गुजरात राज्य के पोरबन्दर में हुआ था। अपनी महानता, आदर्शवाद और अहिंसा से हमारे जीवन को प्रेरित करते हैं। जलियावाला बांग का हत्याकांड गांधीजी के लिए आजादी की लड़ाई का मुख्य कारण बना था। इसके लिए गांधीजी ने कई आन्दोलन किए हैं। जिसमें से एक है भारत छोड़ो आंदोलन, जो कि देश में आजादी की अलख जगाने के लिए जाना गया। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।

नमक सत्याग्रह की सफलता ने, अंग्रेजी हुकूमत की नीव को हिलाकर रख दिया था। अंग्रेजों को भारत से खदेड़ने के लिए 8 अगस्त 1942 को महात्मा गाँधी द्वारा भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की गयी। यह द्वितीय विश्व युद्ध का समय था, और ब्रिटेन पहले से ही जर्मनी के साथ युद्ध में उलझा हुआ था। ऐसे समय में बापू के भारत छोड़ो आंदोलन ने अंग्रेजी हुकूमत के लिए मामले को और भी पेचीदा बना दिया।

इस आंदोलन के कारण पूरे देश भर में कई नागरिक अवज्ञा आंदोलन शुरु हो गये और भारतीयों ने खुद को द्वितीय विश्व युद्ध से अलग करने की भी मांग शुरु कर दी। भारत छोड़ो आंदोलन का प्रभाव इतना ज्यादे था, कि अंग्रेजी सरकार को युद्ध समाप्त होने के बाद भारत को स्वतंत्रता देने का वादा करना पड़ा। एक प्रकार से भारत छोड़ो आंदोलन, भारत में ब्रिटिश राज के ताबूत में आखरी कील साबित हुआ।

महात्मा गाँधी के द्वारा शुरु किये गये आंदोलन पूर्ण रुप से अहिंसक थे और इनमें कभी भी किसी तरह के अस्त्र-शस्त्र का उपयोग नही हुआ। उनके आंदोलनो में सत्य और अहिंसा की शक्ति का प्रभाव इतना ज्यादे था कि इसने पूरे विश्व का ध्यान भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष की ओर आकर्षित किया। इसके साथ ही इसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोगों को अंग्रेजी हुकूमत के कठोर नीतियों और कानूनों से भी परिचित कराया।