95% फेफड़ों में निमोनिया होने के बावजूद 57 वर्षीय महिला ने घर पर ही इलाज से दी कोरोना को मात

कोरोना की दूसरी लहर में कई लोगों को इलाज के लिए अस्पताल का मुंह देखना पड़ा हैं। कोरोना का संक्रमण कई लोगों में बढ़ते हुए जानलेवा साबत हुआ हैं। लेकिन इसका एक हैरान करने वाला मामला सामने आया जहां 57 वर्षीय कैलाशी देवी ने 95% फेफड़ों में निमोनिया होने के बावजूद घर पर ही इलाज से कोरोना को मात दी है। महिला ब्राह्मण की गंवार शिकारपुरा की है। महिला की 25 अप्रैल को हल्की तबियत खराब हुई। 3 दिन बाद ऑक्सीजन 60 पर आ गया तो घरवालों ने 29 अप्रैल को कोरोना टेस्ट कराया। रिपोर्ट पॉजिटिव आई। एचआरसीटी कराई तो स्कोर 24/25 आया यानि फेफड़ो में 95% से ज्यादा इन्फ़ेक्शन हो गया था। डॉक्टर ने हालत गंभीर बताते हुए तुंरत हॉस्पिटल में भर्ती कराकर वेंटिलेटर के लिए कहा।

उनके बेटे सुरेश शर्मा बताते हैं कि हम फोर्टिस, महात्मा गांधी, नारायणा हृदयालय, आरयूएचएस, एसएमएस सहित कई छोटे-बड़े हॉस्पिटलों में लेकर गए, कहीं भी वेंटीलेटर वाला बेड नहीं मिला। हमने घर पर ही ऑक्सीजन सिलेंडर और बीआईपीएपी मशीन की व्यवस्था की। यहां-वहां हाथ-पैर मारकर जैसे-तैसे नर्सिंग स्टाफ को भी घर बुलाया और घर पर ही इलाज शुरू करवा दिया। नर्सिंग स्टॉफ दिन-रात डॉक्टर से बात करके इलाज करता रहा। घर पर हो रहे इलाज से कैलाशी देवी की तबीयत में 4-5 दिनों के बाद सुधार आने लगा। वह धीरे-धीरे स्वस्थ होने लगीं। 14 दिनों के बाद कैलाशी देवी की वापस कोरोना जांच करवाई गई जो निगेटिव आ गई। अब वे स्वस्थ हैं।

महिला ने ऐसे जीती कोरोना से जंग

माहिला को सुबह-शाम दाल-रोटी और दिन में 3-4 बार कीवी, पपीता, सेव आदि फल और नारियल पानी पिलाया गया। दिन में 5 बार व्यायाम करवाते थे। स्प्राइ मीटर से बॉल उठाना। बलून फुलवाना। पीट थपथपाना। अनुलोम-विलोम। तकिये लगाकर बार-बार उल्टा सुलाया गया।