कोरोना वायरस के नए वैरिएंट डेल्टा प्लस से रहें सावधान… वैक्सीन-एंटीबॉडी भी नहीं कर सकती सामना!

देश अभी तक कोरोनावायरस का दंश झेल रहा है। हालांकि अब असर थोड़ा कम होने लगा है, लेकिन हम पूरी तरह से चैन की बंसी नहीं बजा सकते। अब एक और परेशानी शुरू हो गई है। दरअसल दूसरी लहर में तबाही मचाने वाले डेल्टा वैरिएंट (B.1.617.2) ने रूप बदल लिया है। इसे डेल्टा प्लस (AY.01) नाम दिया गया है।

अब रिपोर्ट आई है कि यह वैरिएंट वैक्सीन और एंटीबॉडी को बेअसर कर देगा। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक मशहूर वायरोलॉजिस्ट प्रोफेसर शाहिद जमील ने कहा है कि डेल्टा प्लस वैरिएंट, वैक्सीन लेने से शरीर में बनी रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) को बेअसर कर सकता है। उनका यह भी कहना है कि अगर आप कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके हैं और आपमें एंटीबॉडी बन चुकी है, तो वो भी नए वैरिएंट का मुकाबला नहीं कर सकती।

हालांकि हाल ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा था कि डेल्टा प्लस वैरिएंट अभी तक चिंताजनक नहीं है और देश में इसकी उपस्थिति का पता लगाना होगा और उस पर नजर रखनी होगी। नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वीके पॉल ने बताया था कि डेल्टा प्लस वायरस यूरोप में मार्च से है। कुछ दिन पहले इसके बारे में जानकारी सार्वजनिक हुई है। इसे अभी चिंताजनक प्रकार के रूप में वर्गीकृत नहीं किया गया है। लेकिन डेल्टा स्वरूप के प्रभाव और बदलाव के बारे में हमारे आईएनएसएसीओजी सिस्टम के माध्यम से वैज्ञानिक तरीके से नजर रखनी होगी।

इस बीच विशेषज्ञ चेता रहे हैं कि अगर सावधानी नहीं बरती गई तो अगले दो-तीन हफ्तों में महाराष्ट्र में तीसरी लहर आ सकती है। डेल्टा प्लस वैरिएंट के कारण एक्टिव केस आठ लाख तक पहुंच सकते हैं और इन मरीजों में 10 फीसदी बच्चे होंगे। वेल्लोर के क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर डॉ. गगनदीप कंग का कहना है कि वायरस में बदलाव होना आम है। जैसे-जैसे वायरस फैलेगा, एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुंचने के दौरान उसमें बदलाव होंगे ही। वहीं, महामारी विशेषज्ञ चंद्रकांत लहारिया कहते हैं कि यह स्पेलिंग मिस्टेक की तरह है।

दवाओं और एंटीबॉडी से बचने के लिए वायरस में यह बदलाव होता है। यह स्वाभाविक है। पर अगर महामारी में वायरस को रोकना है तो उससे दो कदम आगे रहना होगा। इसके लिए उसमें हो रहे प्रत्येक बदलाव पर नजर रखनी बेहद जरूरी है। दिल्ली एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने पिछले हफ्ते कहा था कि हम इस वायरस को हल्के में नहीं ले सकते। हमें यह समझना होगा कि वायरस बदल रहा है। वह जिंदा रहना चाहता है और ज्यादा से ज्यादा लोगों को संक्रमित करना चाहता है। ब्रिटेन से सबक लेना चाहिए, जहां अनलॉक शुरू होते ही नए केस सामने आ रहे हैं।