नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से संबंधित धन शोधन मामले में आप नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को जमानत दे दी। इस घोटाले की जांच सीबीआई और ईडी कर रही है। वह 17 महीने बाद जेल से बाहर आएंगे।
न्यायमूर्ति बी आर गवई की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की पीठ ने सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश सुनाया।
शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा, पीएमएलए में उल्लिखित सख्त दोहरी शर्तों के बावजूद मुकदमे में देरी और लंबी सुनवाई मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में जमानत देने का एक वैध आधार है।
सर्वोच्च न्यायालय ने निचली अदालत के इस निष्कर्ष को खारिज करते हुए कि सिसोदिया भी मुकदमे में देरी के लिए जिम्मेदार थे, कहा कि जमानत को सजा के तौर पर खारिज नहीं किया जा सकता।
न्यायमूर्ति गवई ने आदेश पढ़ते हुए कहा, इस संबंध में आप नेता के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय की प्रतिकूल टिप्पणी गलत है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि निचली अदालतें और उच्च न्यायालय यह समझें कि जमानत नियम है और जेल अपवाद है।
आदेश सुनाए जाने के बाद सीबीआई और ईडी ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि सिसोदिया पर वही शर्तें लगाई जाएं जो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर लगाई गई थीं, ताकि उन्हें अपने कार्यालय और दिल्ली सचिवालय में जाने से रोका जा सके, लेकिन शीर्ष अदालत ने याचिका खारिज कर दी।
दिल्ली की शिक्षा मंत्री और आप नेता आतिशी आज सिसोदिया को जमानत देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए भावुक हो गईं। राष्ट्रीय राजधानी के एक स्कूल में बोलते हुए आतिशी रो पड़ीं, आतिशी ने कहा, आज सच्चाई की जीत हुई है और दिल्ली के छात्रों की जीत हुई है। उन्हें वंचित बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए जेल भेजा गया था।
सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर खुशी जताते हुए दिल्ली के मंत्री और आप नेता सौरभ भारद्वाज ने इसे भारतीय लोकतंत्र के लिए एक महत्वपूर्ण दिन बताया। उन्होंने बिना किसी अपराध के सिसोदिया के 17 महीने जेल में बिताने पर सवाल
उठाया और कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सिसोदिया पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है और उन्हें अपने कर्तव्यों को फिर से शुरू करने की अनुमति दी है।
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शुक्रवार को सिसोदिया को जमानत देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लोकतंत्र की जीत और तानाशाही और अन्याय की हार बताया। सोरेन ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, यह लोकतंत्र की जीत और अन्याय और तानाशाही की हार है।