सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व वाली 'आजाद हिंद सरकार' की स्थापना के 75 साल पूरे होने पर लाल किले में एक विशेष समारोह में पीएम मोदी ने लाल किले से तिरंगा फहराया। इसके साथ ही उन्होंने वहां आजाद हिंद फौज को समर्पित संग्रहालय का भी उद्घाटन किया। बता दें कि अब तक देश के प्रधानमंत्री सिर्फ 15 अगस्त को ही लाल किले पर झंडारोहण करते हैं। मगर अब 21 अक्टूबर को भी लाल किले पर झंडारोहण करने करने के साथ नरेंद्र मोदी पहले प्रधानमंत्री बन गये। साथ ही उन्होंने इससे पहले पुलिस स्मृति दिवस पर राष्ट्रीय पुलिस स्मारक का उद्घाटन भी किया। उन्होंने रविवार को नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम से वीरों के लिए सम्मान की शुरुआत करने की भी घोषणा की। देश के पुलिस जवानों के साहस, सेवा और समर्पण को याद कर पीएम मोदी भावुक भी हुए। उन्होंने कहा कि अब हर साल वीरों को यह सम्मान नेताजी के जन्मदिन (23 जनवरी) दिया जाएगा।
मोदी ने कहा कि 75 साल पहले देश से बाहर बनी आजाद हिंद सरकार अखंड भारत की सरकार थी, अविभाजित भारत की सरकार थी। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। मोदी ने गांधी परिवार पर निशाना साधते हुए कहा कि ये भी दुखद है कि एक परिवार को बड़ा बताने के लिए, देश के अनेक सपूतों, वो चाहें सरदार पटेल हों, बाबा साहेब आंबेडकर हों, उन्हीं की तरह ही, नेताजी के योगदान को भी भुलाने का प्रयास किया गया। देश का संतुलित विकास, समाज के प्रत्येक स्तर पर, प्रत्येक व्यक्ति को राष्ट्र निर्माण का अवसर, राष्ट्र की प्रगति में उसकी भूमिका, नेताजी के वृहद विजन का हिस्सा थी। पीएम ने देश के पहले पीएम पंडित जवाहरलाल नेहरू का नाम लिए बिना तंज कसते हुए कहा कि आजादी के बाद अगर पटेल और बोस का नेतृत्व मिलता तो स्थितियां अलग होतीं।
पीएम ने नेताजी की उस चिट्ठी का किया जिक्रपीएम मोदी ने लाल किले पर आयोजित कार्यक्रम में कहा कि देशवासियों को आजाद हिंद सरकार के 75 वर्ष पूरे होने पर बधाई देता हूं। मोदी ने कहा, 'आजाद हिंद सरकार केवल नाम नहीं था। नेताजी के नेतृत्व में इस सरकार ने हर क्षेत्र में नई योजना बनाई थी। इस सरकार का अपना बैंक था, अपनी मुद्रा थी, अपना डाक टिकट था, गुप्तचर सेवा थी। कम संसाधन में ऐसे शासक के खिलाफ लोगों को एकजुट किया जिसका सूरज नहीं ढलता था। वीरता के शीर्ष पर पहुंचने की नींव नेताजी के बचपन में ही पड़ गई थी।'
मोदी ने सुभाष चंद्र बोस की उस चिट्ठी का जिक्र किया जो उन्होंने किशोर अवस्था में अपनी मां को लिखी थी। मोदी ने कहा, 'सुभाष बाबू ने मां को चिट्ठी लिखी। उन्होंने 1912 के आसपास चिट्ठी लिखी थी। उस समय ही उनमें गुलाम भारत को लेकर वेदना थी। उस समय वह सिर्फ 15-16 साल के थे। उन्होंने मां से पत्र में सवाल पूछा था कि मां क्या हमारा देश दिनों दिन और अधिक पतन में गिरता जाएगा। क्या इस दुखिया भारत माता का एक भी पुत्र ऐसा नहीं है जो पूरी तरह अपने स्वार्थ की तिलांजली देकर अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर दे। बोलो मां हम कबतक सोते रहेंगे?
'एक परिवार के लिए नेताजी, पटेल को भुलाने की कोशिश'
पीएम मोदी ने कहा, 'इसी लाल किले पर आजाद हिंद फौज के सेनानी शाहनवाज खान ने कहा था कि सुभाष चंद्र बोस ऐसे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने भारत होने का एहसास उनके मन में जगाया। ऐसी क्या परिस्थितियां जीं जो शाहनवाज खान को यह बात कहनी पड़ी। कैंब्रिज के अपने दिनों को याद करते हुए सुभाष चंद्र ने लिखा है कि हमें सिखाया जाता था कि यूरोप ग्रेटब्रिटेन का रूप है, इसलिए यूरोप को ब्रिटेन के चश्मे से देखने की आदत है। आजादी के बाद भी लोगों ने इंग्लैंड के चश्मे से देखा। हमारी व्यवस्था, हमारी परंपरा, हमारी संस्कृति, हमारी पाठ्य पुस्तकों को इसका नुकसान उठाना पड़ा।'
पीएम मोदी ने कहा 'आज मैं कह सकता हूं कि भारत अब एक ऐसी सेना के निर्माण की तरफ बढ़ रहा है, जिसका सपना नेताजी ने देखा था। जोश, जुनून और जज्बा तो हमारी सैन्य परंपरा का हिस्सा रहा ही है, अब तकनीक और आधुनिक हथियारों की शक्ति भी जुड़ रही है। हमारी सैन्य ताकत हमेशा से आत्मरक्षा के लिए रही है और आगे भी रहेगी।'