पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) का समाधि स्थल ‘सदैव अटल’ बनकर तैयार है। यह स्थल 7 एकड़ में फैला है, जिसमें अटलजी की समाधि स्थल के लिए 1.5 एकड़ जमीन दी गई। अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन 25 दिसंबर को पहली प्रार्थना सभा अटल स्मृति न्यास की तरफ से रखी गई है। इसमें राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री समेत विपक्षी दलों के नेताओं को भी आमंत्रित किया गया है। फिलहाल समाधि की फिनिशिंग और सजावट का काम चल रहा है। अटलजी का निधन 16 अगस्त को हुआ था। राष्ट्रीय स्मृति स्थल कॉम्प्लेक्स में पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह, आर वेंकटरमन, शंकर दयाल शर्मा, केआर नारायण, पूर्व प्रधानमंत्री आईके गुजराल, पीवी नरसिंह राव, चंद्र शेखर की समाधियां हैं।
अटलजी की इच्छा को ध्यान में रखा गया- अटल स्मृति न्यास के अध्यक्ष प्रोफेसर विजय कुमार मल्होत्रा ने भास्कर से बातचीत में बताया कि समाधि निर्माण में अटल जी के पर्यावरण प्रेम को ध्यान में रखा गया। इस तरह से समाधि बनाई गई है कि एक भी पेड़ काटने की जरूरत नहीं पड़ी।
- सदैव अटल समाधि निर्माण में भव्यता का भी ध्यान रखा गया है। निर्माण में लाइटिंग का इस्तेमाल किया गया है। समाधि पर कमल के फूल आकार में एक पारदर्शी पत्थर लगाया गया है, जिसमें रात को लाइट ज्योति की तरह दिखाई देती है। समाधि के चारों तरफ 8 दीवारें हैं, जिस पर, मौत की उम्र क्या? दो पल भी नहीं, जिंदगी-सिलसिला, मैं जी भर जिया जैसी अटलजी की कविताएं लिखीं हुई हैं।
अटल बिहारी वाजपेयी की याद में PM मोदी ने जारी किया 100 रुपए का सिक्कापूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 94वीं जयंती की पूर्व संध्या पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी स्मृति में 100 रुपए का सिक्का जारी किया। लंबे समय तक वाजपेयी के सहयोगी रहे वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, वित्त मंत्री अरुण जेटली और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह संबंधित समारोह में मौजूद थे। मोदी ने स्मृति सिक्का जारी करने के अवसर पर मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि वह वाजपेयी की विचारधारा और उनके दिखाए रास्ते पर चलने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराने को मंगलवार को पूर्व प्रधानमंत्री के स्मारक पर जाएंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘अटल जी चाहते थे कि लोकतंत्र सर्वोच्च रहे। उन्होंने जनसंघ बनाया। लेकिन जब हमारे लोकतंत्र को बचाने का समय आया, तब वह और अन्य जनता पार्टी में चले गए। इसी तरह जब सत्ता में रहने या विचारधारा पर कायम रहने के विकल्प की बात आई तो उन्होंने जनता पार्टी छोड़ दी और भाजपा की स्थापना की।' साथ ही पीएम मोदी ने इस मौके पर कहा, 'दिमाग यह मानने को तैयार ही नहीं है कि वे अब हमारे साथ नहीं हैं।'