जाने क्या है 1985 का असम समझौता और नागरिकता संशोधन बिल को लेकर क्यों हो रहा है प्रदर्शन?

नागरिकता संशोधन बिल को लेकर असम में हिंसक प्रदर्शन जारी है। पूर्वोत्तर के नागरिक इस बिल का पुरजोर विरोध कर रहे हैं और इसे उनकी स्थानीय अस्मिता पर हमला मान रहे हैं। यही कारण है कि सड़कों पर प्रदर्शन हो रहा है। असम के छाबुआ, पानितोला रेलवे स्टेशन पर प्रदर्शनकारियों ने हंगामा किया है और आग लगा दी। इसके अलावा दिब्रूगढ़, तिनसुकिया के रेलवे स्टेशन को अलर्ट पर रखा गया है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया- मैं असम के अपने भाइयों और बहनों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि बिल के पारित होने के बाद उन्हें चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। मैं उन्हें कहना चाहता हूं कि कोई भी आपके अधिकारों, विशिष्ट पहचान और संस्कृति को नहीं छीन सकता। यह हमेशा फलता-फूलता और विकसित होती रहेगी। केंद्र सरकार संवैधानिक सुरक्षा, भाषा, संस्कृति और असम की क्षेत्रीय संस्कृति को लेकर प्रतिबद्ध है।

बता दे, नागरिकता (संशोधन) विधेयक (Citizen Amedment Bill) को लेकर व्यापक विरोध प्रदर्शन के बीच सुप्रीम कोर्ट में पहली याचिका दायर की गई है। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के 4 सांसदों ने इस बिल के खिलाफ याचिका दाखिल की। याचिका में कहा गया है कि भारत का संविधान धर्म के आधार पर वर्गीकरण की इजाजत नहीं देता। ऐसे में नागरिकता संशोधन बिल असंवैधानिक है। ये बिल संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत ट्वीन टेस्ट पर खरा नहीं उतरता है। वही असम में प्रदर्शनकारियों ने दिसपुर में सचिवालय को घेर रखा है। इन प्रदर्शनों के चलते कई ट्रेनों को रद्द करना पड़ा है। यहां तक कि अब राज्य में सेना तैनात कर दी गई है।

प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि नागरिकता संशोधन विधेयक-2019 साल 1985 में हुए असम समझौते का उल्लघंन है। इससे वहां के मूल निवासियों की भावनाओं और हितों को नुकसान पहुंचा है। आइए जानते हैं कि असम अकॉर्ड आखिर क्या है? यह नागरिकता संशोधन विधेयक कितना अलग है?

आखिर क्या है 1985 में हुआ असम समझौता?

1979 के लोकसभा उपचुनाव में मंगलदोई सीट पर वोटरों की संख्या में अत्यधिक इजाफा हुआ। जब पता किया गया तो जानकारी मिली कि वोटरों की संख्या में बढ़ोतरी बांग्लादेशी अवैध शरणार्थियों की वजह से हुई है। इसके बाद अवैध शरणार्थियों के खिलाफ असम के मूल निवासियों ने हिंसक धरना-प्रदर्शन शुरू किया। ये प्रदर्शन और विरोध तकरीबन 6 साल तक चला। इस दौरान 885 लोग मारे गए।

राजीव गांधी ने 1995 में असम समझौता किया

मामला तब शांत हुआ जब उस समय के प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 1995 में असम समझौता किया। समझौते में कहा गया था कि 25 मार्च 1971 के बाद असम में आए विदेशियों की पहचान कर उन्हें देश ने बाहर निकाला जाए। दूसरे राज्यों के लिए यह समय सीमा 1951 थी। जबकि, नागरिकता संशोधन बिल-2019 में नई समय सीमा 2014 तय की गई है। इसी बात पर प्रदर्शनकारियों का कहना है कि नई समय सीमा से असम समझौते का उल्लघंन हो रहा है। असम समझौते में कहा गया था कि नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंश (NRC) को लागू किया जाएगा। ताकि विदेशी नागरिकों की पहचान कर उन्हें देश से बाहर निकाला जा सके। हालांकि, 35 सालों तक NRC पर कोई काम नहीं हुआ। जब 31 अगस्त 2019 को असम NRC पर काम शुरू हुआ तो उसकी सूची में से 19 लाख लोगों के नाम इससे बाहर हो गए। जो लोग बाहर हुए उसमें ज्यादातर हिंदू और मूल आदिवासी समुदाय के लोग थे। अब असम के प्रदर्शनकारियों का कहना है कि नागरिकता बिल आने से NRC का प्रभाव खत्म हो जाएगा। इससे अवैध शरणार्थियों को नागरिकता मिल जाएगी।

असम की हिंसा के पीछे का कारण क्या है?

- प्रदर्शनकारियों का कहना है कि नागरिकता बिल से असम समझौते के नियम-6 का भी उल्लघंन हो रहा है।

- इस नियम के तहत असम के मूल निवासियों की सामाजिक, सांस्कृतिक एवं भाषाई पहचान और उनके धरोहरों के संरक्षण तथा संवर्धन के लिए संवैधानिक, कार्यकारी और प्रशासनिक व्यवस्था की गई है।

- असम के मूल निवासियों को इस बात की आशंका है कि कानून बदलने से बांग्लादेश से आए हिंदुओं को नागरिकता मिल जाएगी।

- ये बांग्लादेशी हिंदू असम के मूल निवासियों के अधिकारों को चुनौती देंगे।

- असम के मूल निवासियों की संस्कृति, भाषा, परंपरा, रीति-रिवाजों पर असर पड़ेगा।

असम अब और शरणार्थियों का बोझ नहीं उठा सकता

नागरिकता संशोधन बिल-2019 के तहत नागरिकता के लिए भारत में निवास की समयसीमा 2014 तय है। वहीं, प्रदर्शनकारियों का कहना है कि असम में 1951 से 1971 तक लाखों शरणार्थी आए। अब वह और शरणार्थियों का बोझ नहीं उठा सकता। केंद्र सरकार ने नए कानून से 1985 के असम समझौते का उल्लघंन होगा।

आपको बता दे, नागरिकता बिल के पास होने के बाद सबसे ज्यादा विरोध प्रदर्शन असम में हो रहा है। गुवाहाटी में राज्य सरकार ने कर्फ्यू लगा दिया है, जो गुरुवार रात 7 बजे तक जारी रहेगा। असम में छात्र संगठनों की अगुवाई में चल रहे प्रदर्शन में काफी तोड़फोड़ की गई थी। असम में छात्र संगठन सड़कों पर उतर गए हैं। प्रदर्शनकारियों ने एक रेलवे स्टेशन पर हमला किया है, जिसके बाद गुवाहाटी से गुजरने वाली सभी ट्रेनें कैंसिल कर दी गई हैं, वहीं कई फ्लाइट भी रद्द हो गई हैं।