जम्मू-कश्मीर : अनुच्छेद 370 खत्म, साल के अंत तक चुनाव, 3 जनवरी को खत्म होगा राष्ट्रपति शासन, महबूबा मुफ्ती ने कहा - भयावह परिणाम होंगे

सोमवार को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा दिया। नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन विधेयक को पेश किया है। इसके तहत जम्मू-कश्मीर से लद्दाख को अलग कर दिया गया है। लद्दाख को बिना विधानसभा केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया है। अमित शाह की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि लद्दाख के लोगों की लंबे समय से मांग रही है कि लद्दाख को केंद्र शासित राज्य का दर्ज दिया जाए, ताकि यहां रहने वाले लोग अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकें। रिपोर्ट के मुताबिक जम्मू-कश्मीर को अलग से केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया है। जम्मू-कश्मीर राज्य में विधानसभा होगी। यानी जम्मू-कश्मीर अब दिल्ली की तरह विधानसभा वाला और लद्दाख, चंडीगढ़ की तरह व‍िधानसभा व‍िहीन केंद्रशासित प्रदेश होगा। मोदी सरकार के फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर को दूसरे राज्यों से मिले ज्यादा अधिकार खत्म ही नहीं बल्कि कम भी हो गए हैं। जम्मू-कश्मीर की हालत अब दिल्ली जैसे राज्य की तरह हो गई है। अब जम्मू-कश्मीर में चुनाव होंगे और सरकारें भी होंगी, लेकिन उपराज्यपाल का दखल काफी बढ़ जाएगा। दिल्ली की तरह जिस प्रकार सरकार को सारी मंजूरी उपराज्यपाल से लेनी होती है, उसी प्रकार अब जम्मू-कश्मीर में भी होगा। मोदी सरकार के इस फैसले के बाद अब भारतीय संविधान पूरी तरह से लागू होगा। जम्मू-कश्मीर का अब अपना अलग से कोई संविधान नहीं होगा। पुनर्गठन के बाद कश्मीर में इस साल के अंत तक चुनाव हो सकते हैं। राज्य में तीन जनवरी 2019 तक राष्ट्रपति शासन लागू है।

पिछले साल 20 जून को राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने घाटी में राज्यपाल शासन लगा दिया था। 21 नवंबर 2018 को राज्यपाल ने विधानसभा भंग कर दी। तब कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने पीडीपी को समर्थन देकर सरकार बनाने की कोशिश की थी। हालांकि, राज्यपाल ने इसे मंजूरी नहीं दी थी। इसके बाद मोदी सरकार ने यहां 28 दिसंबर 2018 से राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया। इसकी अवधि समाप्त होने के पहले ही जुलाई में इसे 6 माह के लिए बढ़ा दिया गया।

जम्मू-कश्मीर में पहले 87 विधानसभा सीटें थीं। लेकिन, लद्दाख को अलग केंद्रशासित प्रदेश बनाए जाने के बाद चार सीटें कम हो सकती हैं। यानी अगर वर्तमान परिसीमन ही जारी रहता है तो जम्मू-कश्मीर में 83 विधानसभा सीटें होंगी।

2018 में भाजपा ने पीडीपी से समर्थन वापस लिया

2014 में जम्मू-कश्मीर की 87 सदस्यीय विधानसभा के लिए हुए चुनावों में पीडीपी को 28, भाजपा को 25, नेशनल कांफ्रेंस को 15, कांग्रेस को 12 और अन्य को सात सीटें मिली थीं। चुनाव के दो महीने बाद पीडीपी और भाजपा ने मिलकर राज्य में सरकार बनाई थी। मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद 2016 में महबूबा मुफ्ती जम्म-कश्मीर की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी थीं। हालांकि, गठबंधन सरकार लगभग तीन साल ही चल पाई। 2018 में भाजपा ने समर्थन वापस लिया और महबूबा को इस्तीफा देना पड़ा।

आज भारतीय लोकतंत्र का सबसे काला दिन, 370 रद्द करने के भयावह परिणाम होंगे : महबूबा

पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कश्मीर में ऐसी स्थिति होने पर कहा कि आज अटल बिहारी वाजपेयी की कमी महसूस हो रही है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘भाजपा में होने के बाद भी वाजपेयी जी को हमेशा कश्मीरियों के प्रति सहानूभूति रही। उन्होंने कश्मीर की जनता का प्यार और विश्वास जीता।’’ उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग जम्मू-कश्मीर के मौजूदा हालात पर जश्न मना रहे हैं वह इस बात से अनजान हैं कि भारत सरकार द्वारा उठाए गए किसी भी कदम के दूरगामी नतीजे होंगे। महबूबा ने ट्वीट किया कि उपमहाद्वीप के लिए इसके भयावह परिणाम होंगे। भारत सरकार के इरादे स्पष्ट हैं। वे यहां के लोगों को भयभीत कर जम्मू-कश्मीर का इलाका चाहते हैं। भारत कश्मीर पर अपने वादे निभाने में नाकाम रहा।