अमृतसर में शुक्रवार की शाम रावन दहन के दौरान जोड़ा फाटक के पास ट्रेन की चपेट में आने से 61 लोगों की मौत हो गई है और 72 से ज़्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं। हादसा इतना बड़ा था कि मरने वालों की तादाद और बढ़ सकती है। हादसे के बाद ट्रैक के दोनों ओर 150 मीटर तक शव बिखरे हुए नजर आ रहे थे। बता दें कि मौके पर कम से कम 300 लोग मौजूद थे जो पटरियों के निकट एक मैदान में रावण दहन देख रहे थे। इस दर्दनाक रेल हादसे के लिए रेलवे ने स्थानीय प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है। बहरहाल, दशहरे के दिन यह पहली ऐसी घटना नहीं है, जिसमें इतने लोगों की मौत हुई हो। इससे पहले भी दशहरे के दिन पटना में भगदड़ के दौरान करीब 33 लोगों की मौत हुई थी। अगर कुछ सालों के दशहरे की तिथि (दिन) पर गौर किया जाए तो शुक्रवार का दिन दशहरा के लिए शुभ नहीं रहे हैं। यानी पंजाब के अमृतसर रेल हादसे का फ्राइडे कनेक्शन है। अमृतसर हादसे का दिन भी वही था, चो चार साल पहले पटना में गांधी मैदान हादसे का दिन था। इन दोनों हादसों को जोड़ कर देखा जाए तो ऐसा लगता है कि दशहरा का शुक्रवार को होना कहीं से भी शुभ नहीं है।
दरअसल, अमृतसर के जोड़ा फाटक के पास शुक्रवार की शाम दशहरा Dussehra 2018 के मौके पर रावण दहन देखने के लिए बड़ी संख्या में भीड़ उमड़ी थी। लोग रेल की पटरियों पर खड़े होकर रावण दहन देख रहे थे, तभी अचानक तेज रफ्तार में ट्रेन आई और सैकड़ों लोगों को कुचलती हुई चली गई। ट्रेन जालंधर से अमृतसर आ रही थी तभी जोड़ा फाटक पर यह हादसा हुआ। इस भयावह हादसे को देखते हुए पंजाब में एक दिन के राजकीय शोक का ऐलान किया गया है। मतलब अब तक की घटनाओं से लगता है कि दशहरे का शुक्रवार के दिन होना बड़े हादसे के संकेत ही हैं। अगर पिछले 8 सालों के दशहरे के 'दिन' पर गौर करें तो इन आठ सालों में कुल दो बार ही दशहरा 'शुक्रवार' को हुए हैं और इन दोनों 'शुक्रवार' को बड़े हादसे हुए, जिनमें कई जिंदगियां खत्म हो गईं। दरअसल, साल 2014 में पटना के गांधी मैदान में रावण दहन के दौरान भगदड़ मचने से 33 लोगों की मौत हो गई थी और 29 लोग घायल हो गए थे। यह दुर्घटना उस समय हुई थी जब लोग रावण दहन के बाद पटना के गांधी मैदान से वापस लौट रहे थे। पटना के गांधी मैदान में रावण दहन का भव्य कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। मैदान में इस कार्यक्रम को देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग आते हैं। गांधी मैदान से बाहर निकलती भीड़ में कुछ लोगों ने तेजी से चलने के लिए आवाजें निकालनी शुरू कीं, हो हल्ला शुरू किया।
जानें 2010 के बाद दशहरे की तिथि:
2010- दशहरा (रविवार) 2011- दशहरा (गुरुवार) 2012- दशहरा (बुधवार) 2013- दशहरा (रविवार) 2014- दशहरा (शुक्रवार) - पटना में भगदड़ से करीब 33 लोगों की मौत 2015- दशहरा (गुरुवार) 2016- दशहरा (मंगलवार) 2017- दशहरा (शनिवार) 2018- दशहरा (शुक्रवार)- अमृतसर में ट्रेन हादसे में करीब 61 की मौत
एक दिन के राजकीय शोक का ऐलान
इस भयावह हादसे को देखते हुए पंजाब में एक दिन के राजकीय शोक का ऐलान किया गया है। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने ट्वीट किया, ‘अमृतसर रेल दुर्घटना के मद्देनजर प्रदेश में कल शोक रहेगा। सभी दफ्तर और शिक्षण संस्थान बंद रहेंगे।’ वही इसी बीच एक चौकाने वाली बात का खुलासा हुआ है। खबरे आ रही है कि जिस जगह रेल हादसा हुआ वहां पिछले साल दशहरे का आयोजन नहीं हुआ था। इस साल कांग्रेस पार्षद के बेटे ने कार्यक्रम का आयोजन किया था। पूरे मामले में कांग्रेस पार्षद के बेटे सौरभ मिठू मदान का नाम सामने आ रहा है। दूसरी तरफ, जहां आयोजन किया गया था (खाली जमीन) और रेलवे ट्रैक के बीच 5 फ़ुट ऊंची दीवार थी, लेकिन तमाम लोग ऊंचाई से बेहतर नज़ारा देखने के लिए दीवार और ट्रैक पर खड़े थे। इसी दौरान यह हादसा हुआ। जहां हादसा हुआ वह जगह जोड़ा फाटक से 400 फुट की दूरी पर है।