अमेरिका की फेमस नेल पॉलिश और लिपस्टिक बनाने वाली ये कंपनी हुई दिवालिया, क्या खरीदेंगे मुकेश अंबानी!

90 साल पुरानी मल्टीनेशनल ब्यूटी कंपनी रेवलॉन (Revlon INC) इंक ने बैंकरप्सी (Bankruptcy) के लिए आवेदन दायर कर दिया है यानी कंपनी ने खुद को दिवालिया घोषित कर दिया है। रेवलॉन इंक की ओनरशिप अरबपति कारोबारी Ron Perelman की कंपनी MacAndrews & Forbes के पास है। रेवलॉन अपना कर्ज नहीं चुका पा रही थी और खराब सप्लाई चेन की वजह से अपने प्रोडक्ट्स को ग्राहकों तक पहुँचाने में असफल रही। साथ ही कंपनी को दूसरे ब्रांड्स से तगड़ी चुनौती मिल रही है।

150 देशों में बिकता है प्रोडक्ट

रेवलॉन पर भारी कर्ज है और कंपनी ने चैप्टर 11 बैंकरप्सी के लिए आवेदन किया है। इसके तहत कंपनी अपना कामकाज जारी रख सकती है और साथ ही कर्ज चुकाने के लिए योजना बना सकती है। रेवलॉन के 15 से ज्यादा ब्रैंड हैं, जिनमें Elizabeth Arden और Elizabeth Taylor शामिल हैं। करीब 150 देशों में रेवलॉन के प्रोडक्ट की बिक्री होती है। मार्च के तक कंपनी पर 3.31 अरब डॉलर का कर्ज था। कंपनी अपने कर्जदारों से ब्याज पर राहत देने की बात कर रही है। पिछले साल रेवलॉन ने 248 मिलियन डॉलर की रकम ब्याज के रूप में चुकाई थी। रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी से मार्च के दौरान कंपनी को 67 मिलियन डॉलर का शुद्ध घाटा हुआ था।

बिक्री में गिरावट

महामारी के पहले वर्ष 2020 में बिक्री में कंपनी के प्रोडक्ट की बिक्री में 21% की गिरावट आई थी। हालांकि, ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी की बिक्री में 9.2% की बढ़ोतरी हुई थी। मार्च में समाप्त हुई तिमाही में रेवलॉन की बिक्री लगभग 8% बढ़ी थी। ग्लोबल सप्लाई चेन की समस्या की वजह से कई कंपनियां मुश्किलों का सामना कर रही हैं, लेकिन रेवलॉन इस परेशानी से अधिक जूझ रही है।

कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) डेबरा पेरेलमैन ने कहा कि यह फाइलिंग रेवलॉन हमारे भविष्य के विकास के लिए एक स्पष्ट रास्ता प्रदान करेगी। कंपनी की ओर से कहा गया कि अगर उसके आवेदन को अदालत से मंजूरी मिल जाती है, तो उसे अपने कर्जदाताओं से 575 मिलियन डॉलर की मदद मिलने की उम्मीद है।

Revlon को खरीदेंगे मुकेश अंबानी!

इस बीच खबर आ रही है कि भारत और एशिया के सबसे बड़े रईस मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) (Revlon) पर दांव लगा सकते हैं। ईटी नाउ ने सूत्रों के हवाले से बताया कि रेवलॉन को खरीदने के लिए रिलायंस आगे आ सकती है। रिलायंस ब्यूटी और पर्सनल केयर सेक्टर में बड़ा दांव खेलने की तैयारी में है और उसकी इस योजना में रेवलॉन की बड़ी भूमिका हो सकती है। दरअसल, ब्यूटी और फैशन रिटेलर नायका (Nykaa) की चमत्कारिक सफलता ने देश के दिग्गज औद्योगिक घरानों का ध्यान ब्यूटी बिजनस की तरफ खींचा है। टाटा ग्रुप भी एक बार फिर इस बिजनस में लौटने की योजना बना रहा है। ग्रुप ने 23 साल पहले ही इस बिजनस को अलविदा कर दिया था। लेकिन देश में कॉस्मेटिक्स का बाजार तेजी से बढ़ रहा है और साल 2025 तक इसके 20 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। कुछ दशक पहले तक ब्यूटी सेक्टर में टाटा ग्रुप के लैक्मे (Lakme) ब्रैंड की तूती बोलती थी। लेकिन टाटा ने 1998 में लैक्मे को यूनिलीवर पीएलसी (Unilever Plc) की लोकल यूनिट को बेच दिया था।

1932 में मंदी के दौर में हुई थी शुरुआत

90 साल पुरानी रेवलॉन इंक ने नेल पॉलिश बेचने से अपने कारोबार की शुरुआत की थी। साल 1932 में भारी मंदी के दौर में चार्ल्स रेवसन और जोसेफ रेवसन नाम के दो भाइयों ने इस कंपनी की शुरुआत की थी। नवंबर 1985 में रेवलॉन को पैंट्री प्राइड नाम की कंपनी ने 58 डॉलर प्रति शेयर के हिसाब से कुल 2.7 अरब डॉलर में खरीद लिया था।