सोशल मीडिया पर धमाकेदार वापसी की तैयारी में डोनाल्ड ट्रंप, लॉन्च कर सकते हैं खुद का प्लेटफॉर्म

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर सोशल मीडिया पर वापसी की तैयारी कर रहे हैं। अब खबर आ रही है कि ट्रम्प अगले दो-तीन महीनों में अपना खुद का सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लॉन्च करेंगे। ट्रम्प के सीनियर एडवाइजर ने रविवार को इसका खुलासा किया। ट्रंप को कैपिटल हिल पर 6 जनवरी को हुई हिसा के बाद ट्विटर, फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया साइटों ने बैन कर दिया था। इसके बाद से वे सोशल मीडिया से नदारद हैं। इस हिंसा में एक पुलिस अधिकारी सहित पांच लोगों की मौत हो गई थी।

सोशल मीडिया पर ट्रंप की वापसी को लेकर खबर उनके एक पुराने सलाहकार और प्रवक्ता जैसन मिलर ने दी है। मिलर ने फॉक्स न्यूज़ से बातचीत करते हुए कहा है कि ट्रंप दो से तीन महीनों में सोशल मीडिया पर वापसी कर सकते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि ये मीडिया प्लैटफॉर्म खुद ट्रंप का अपना होगा। मिलर के मुताबिक, ट्रंप का ये अपना सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म आने वाले दिनों में गेम चेंजर साबित हो सकता है। उन्होंने ये भी कहा कि इस प्लैफॉर्म पर करोड़ों लोग जुड़ सकते हैं।

9 जनवरी को सोशल मीडिया पर बैन हुए थे ट्रंप

ट्रंप के ट्विटर अकाउंट को ट्विटर ने 9 जनवरी को हमेशा के लिए सस्पेंड कर दिया था। ट्विटर ने ट्रंप के ट्वीट से फिर से हिंसा भड़कने की आशंका को देखते हुए उनके अकाउंट को सस्पेंड कर दिया था। ट्विटर पर ट्रंपके अकाउंट को सस्पेंड करने का काफी दबाव था। मिशेल ओबामा समेत कई बड़ी हस्तियों ने ट्रंपके अकाउंट को बंद करने की मांग की थी।

ट्विटर से पहले फेसबुक ने भी ट्रंप को बैन कर दिया था। इसके अलावा स्नैपचैट, यूट्यूब, ट्विच और रेडिट ने भी ट्रम्प को अपने-अपने प्लेटफॉर्म पर बैन कर रखा है।

अमेरिका में वोटिंग यानी 3 नवंबर के 64 दिन बाद 6 जनवरी को संसद जो बाइडेन की जीत पर मुहर लगाने जुटी, तो अमेरिकी लोकतंत्र शर्मसार हो गया। ट्रम्प के समर्थक दंगाइयों में तब्दील हो गए। कैपिटल हिल में तोड़फोड़ और हिंसा की। कैपिटल हिल बिल्डिंग में अमेरिकी संसद के दोनों सदन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स और सीनेट हैं। ट्रम्प समर्थकों के हंगामे के चलते कुछ वक्त तक संसद की कार्यवाही रोकनी पड़ी थी।

बता दें कि समर्थकों का कहना है कि ट्रंप का अकाउंट हमेशा के लिए निलंबित करना अमेरिकी संविधान के पहले संशोधन यानी अभिव्यक्ति का आजादी पर हिंसा है। हालांकि उस वक्त एक्सपर्ट का कहना था कि ये नियम संविधान में है और सरकारी संस्थाओं पर लागू होता है। ट्विटर एक निजी कंपनी है तो ऐसे में वो इस तरह का फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है।