CBI चीफ के पद से हटाए जाने के बाद आलोक वर्मा ने दिया इस्‍तीफा, डीजी फायर सर्विस का पदभार ग्रहण करने से किया इनकार

सीबीआई के पूर्व चीफ और वरिष्‍ठ आईपीएस अधिकारी आलोक वर्मा ने केंद्रीय जांच ब्यूरो के पद से हटाए जाने के बाद अग्निशमन विभाग में महानिदेशक बनाए जाने के बाद पद संभालने से इनकार करते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। 1979 बैच के आईपीएस अधिकारी को गृह मंत्रालय के तहत अग्निशमन विभाग, नागरिक सुरक्षा और होम गार्ड्स का निदेशक नियुक्त किया गया था। सेक्रटरी पर्सनल एड ट्रेनिंग को लिखी चिट्ठी में आलोक वर्मा ने कहा कि वो पुलिस सर्विस से 31 जुलाई 2017 को रिटायर हो चुके है और सिर्फ डायरेक्टर सीबीआई के लिये वो 31 जनवरी 2019 तक तैनात थे। अब क्‍योंकि उन्हें सीबीआई पद से हटा दिया गया है लिहाजा उन्हें तत्काल समय से पद से रिटायर माना जाये।

आलोक कुमार वर्मा ने चिट्ठी में हवाला दिया कि उनका अब तक का सर्विस रिकार्ड बेदाग रहा है, और सेलेक्‍शन कमेटी ने उन्हें अपनी बात कहने का मौका नहीं दिया और बिना बात सुने उन्हें पद से हटा दिया गया। सेलेक्शन कमेटी ने सिर्फ शिकायतकर्ता की बात को सुना जिस पर खुद सीबीआई जांच कर रही हैऔर वो खुद सीवीसी की जांच कमेटी के सामने आरोपों के सुबूत लेकर हाजिर नहीं हुआ। सीबीआई निदेशक के पद से हटाए जाने के बाद आलोक वर्मा ने दावा किया था कि उनका तबादला उनके विरोध में रहने वाले एक व्यक्ति की ओर से लगाए गए झूठे, निराधार और फर्जी आरोपों के आधार पर किया गया है।

इस मामले में चुप्पी तोड़ते हुए वर्मा ने बृहस्पतिवार देर रात जारी एक बयान में कहा कि भ्रष्टाचार के हाई-प्रोफाइल मामलों की जांच करने वाली महत्वपूर्ण एजेंसी होने के नाते सीबीआई की स्वतंत्रता को सुरक्षित और संरक्षित रखना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘इसे बाहरी दबावों के बगैर काम करना चाहिए। मैंने एजेंसी की ईमानदारी को बनाए रखने की कोशिश की है जबकि उसे बर्बाद करने की कोशिश की जा रही थी। इसे केंद्र सरकार और सीवीसी के 23 अक्टूबर, 2018 के आदेशों में देखा जा सकता है जो बिना किसी अधिकार क्षेत्र के दिए गए थे और जिन्हें रद्द कर दिया गया।’’ आलोक वर्मा ने ‘‘अपने विरोधी एक व्यक्ति द्वारा लगाए गए झूठे, निराधार और फर्जी आरोपों’’ के आधार पर समिति द्वारा तबादले का आदेश जारी किए जाने को दुखद बताया।

वर्मा ने अपने इस्तीफे में कई बातों का जिक्र किया है। जिसमें लिखा गया है, 'मैंने एक प्रशासक के रूप में अपने चार दशक के करियर में मैंने संप्रभुता को सबसे ऊपर रखा। मेरा भारतीय पुलिस सेवा में एक बेदाग रिकॉर्ड रहा और अंडमान और निकोबार, आईसलैंड, पुदुचेरी, मिजोरम दिल्ली के पुलिस बल का नेतृत्व किया। यहीं नहीं सीबीआई और दिल्ली प्रिजन तथा सीबीआई का मुखिया रहा।'

बता दें कि जबरन छुट्टी पर भेजे जाने के 77 दिन बाद वर्मा बुधवार को ही अपनी ड्यूटी पर लौटे थे। एजीएमयूटी काडर के आईपीएस अधिकारी वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना दोनों को सरकार ने 23 अक्टूबर, 2018 की देर शाम जबरन छुट्टी पर भेज दिया था और उनके सारे अधिकार ले लिये थे। सीबीआई के निदेशक पद से आलोक वर्मा को हटाए जाने के एक दिन बाद शुक्रवार को अतिरिक्त निदेशक एम। नागेश्वर राव को फिर से सीबीआई निदेशक का कार्यभार दे दिया गया।