नई दिल्ली। शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मंगलवार को एनसीईआरटी की तीसरी और छठी कक्षा की पाठ्यपुस्तकों से संविधान की प्रस्तावना को हटाने के आरोपों का खंडन किया और कहा कि पहली बार एनसीईआरटी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2024 के तहत पाठ्यपुस्तकों में भारत के संविधान के विभिन्न पहलुओं को उचित महत्व और सम्मान दिया है, जिसमें प्रस्तावना, मौलिक कर्तव्य, मौलिक अधिकार और राष्ट्रगान शामिल हैं।' शिक्षा मंत्री की यह टिप्पणी उन खबरों के बीच आई है, जिनमें दावा किया गया है कि संविधान की प्रस्तावना को राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की कुछ पाठ्यपुस्तकों से हटा दिया गया है।
धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा, बच्चों के समग्र विकास के लिए एनईपी के दृष्टिकोण के अनुसार, इन सभी पहलुओं को अलग-अलग चरणों की आयु के अनुसार पाठ्यपुस्तकों में रखा जा रहा है। लेकिन, शिक्षा जैसे विषय का इस्तेमाल झूठ की राजनीति के लिए करना और इसके लिए बच्चों का सहारा लेना कांग्रेस पार्टी की घृणित मानसिकता को दर्शाता है। जो लोग बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं और भारतीय शिक्षा प्रणाली को बकवास कह रहे हैं, उन्हें झूठ फैलाने से पहले सच्चाई जानने की कोशिश करनी चाहिए।
प्रधान ने एक्स पर हिंदी में एक पोस्ट में लिखा, 'मैकाले की विचारधारा से प्रेरित कांग्रेस हमेशा से भारत के विकास और शिक्षा व्यवस्था से नफरत करती आई है। संविधान की प्रस्तावना ही संवैधानिक मूल्यों का प्रतिबिंब है, यह तर्क कांग्रेस की संविधान की समझ को उजागर करता है। कांग्रेस के पापों का प्याला भर चुका है और जो लोग आजकल 'नकली संविधान प्रेमी' बनकर संविधान की प्रति लहरा रहे हैं, उनके पूर्वजों ने संविधान की मूल भावना को बार-बार मारने का काम किया था।'
उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस के पापों का घड़ा भर चुका है और जो लोग आजकल ‘नकली संविधान प्रेमी’ बनकर घूम रहे हैं और संविधान की प्रतियां लहरा रहे हैं, उनके पूर्वजों ने संविधान की मूल भावना की बार-बार हत्या की थी।
प्रधान ने कहा, अगर कांग्रेस पार्टी में थोड़ी भी शर्म और पश्चाताप बचा है, तो उसे पहले संविधान, संवैधानिक मूल्यों और एनईपी को समझना चाहिए और देश के बच्चों के नाम पर ओछी राजनीति करना बंद करना चाहिए।