
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ राजनयिक स्तर पर कड़े कदम उठाए हैं। गुरुवार को संसद भवन में एक सर्वदलीय बैठक बुलाई गई, जिसकी अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की। बैठक में दो मिनट का मौन रखा गया और आतंकी हमले में मारे गए निर्दोष लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। बैठक में सरकार ने माना कि पहलगाम सुरक्षा मामले में चूक हुई है।
इस बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस जयशंकर, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू और अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हुए। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भी बैठक में भाग लिया। सभी दलों ने इस हमले की कड़ी निंदा की और सरकार को इस मामले में पूरी तरह से समर्थन देने की बात की। राहुल गांधी ने बैठक के बाद कहा कि सभी दलों ने पहलगाम आतंकी हमले की निंदा की है और सरकार को कोई भी कदम उठाने के लिए पूर्ण समर्थन दिया है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी इस हमले की निंदा करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में शांति और सुरक्षा बनाए रखने के प्रयास किए जाने चाहिए। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात कर उन्हें पहलगाम हमले के बारे में जानकारी दी।
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने इस हमले को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला बताते हुए सभी दलों से एकजुट होकर ठोस कार्रवाई करने की आवश्यकता की बात की। उन्होंने कहा, यह देश का मामला है, और हम सभी को मिलकर इसका समाधान निकालने की जरूरत है।
इस बैठक को लेकर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने आलोचना की और इसे एक 'चुनिंदा जनसंपर्क अभ्यास' करार दिया। उन्होंने कहा कि सरकार ने नेशनल कॉन्फ्रेंस और सीपीआई (एमएल) लिबरेशन जैसी पार्टियों को इस बैठक से बाहर रखकर इस मुद्दे की गंभीरता को नकारा है।
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के बैसरन इलाके में हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की मौत हो गई और कई लोग घायल हुए। यह हमला 2019 के पुलवामा हमले के बाद घाटी में हुआ सबसे घातक हमला था।
भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि पाकिस्तान द्वारा सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देने तक 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया जाएगा। इसके साथ ही अटारी चेक पोस्ट को भी बंद कर दिया गया है और पाकिस्तानी उच्चायोग के सभी अधिकारियों को एक सप्ताह के भीतर भारत छोड़ने का आदेश दिया गया है। इसके अलावा, पाकिस्तानी नागरिकों को दिए गए सभी वीजा को रद्द कर दिया गया है और उन्हें 48 घंटे के भीतर भारत छोड़ने का निर्देश दिया गया है।