RBI ने दिए निर्देश - विभिन्न आकार-प्रकार, डिजाइन के सिक्के पूरी तरह वैध, लोग बिना किसी झिझक इसे स्वीकार करे

रिजर्व बैंक ने बुधवार को सिक्कों की डिजाइन और विभिन्न आकार-प्रकार को लेकर लोगों के बीच उठ रहे संदेह को दूर करते हुए कहा कि चलन में विभिन्न राशि के जो भी सिक्के हैं, वे पूरी तरह से वैध मुद्रा हैं और लोगों को बिना किसी झिझक के उसे स्वीकार करना चाहिए। केंद्र सरकार द्वारा ढाले गये सिक्कों को आरबीआई चलन में डालता है।

साथ ही रिजर्व बैंक ने बैंकों को यह निर्देश दिए कि वे सिक्के बदलने आने वाले ग्राहकों को अपनी शाखाओं से नहीं लौटाये। वे ग्राहकों से छोटी राशि के सिक्कों और नोट को स्वीकार करें। नोट और सिक्कों को बदलने के बारे में आरबीआई के परिपत्र में बैंकों को सलाह दी गयी है कि किसी भी बैंक शाखा को छोटी राशि के नोट या सिक्कों को लेने से मना नहीं करना चाहिए। हालांकि आरबीआई को बैंक शाखाओं द्वारा सिक्कों को स्वीकार नहीं करने के बारे में शिकायतें मिलती रही हैं। आरबीआई ने कहा, 'इसीलिए आपको फिर से सलाह दी जाती है कि आप अपनी सभी शाखाओं को सभी राशि के सिक्कों को स्वीकार करने और उसे बदलने की सलाह दें...और इसका कड़ाई से पालन सुनिश्चित करे।'

रिजर्व बैंक ने कहा कि सिक्के लंबी अवधि के लिये चलन में बने रहते हैं। साथ ही अलग-अलग डिजाइन और आकार के सिक्के जारी किये जाते हैं।

रिजर्व बैंक ने एक विज्ञप्ति में कहा, 'ऐसी रिपोर्ट है कि कुछ तबकों में ऐसे सिक्कों को लेकर संदेह है और इसके कारण कुछ व्यापारी दुकानदार और लोग सिक्के स्वीकार नहीं करते। इससे देश के कुछ हिस्सों में सिक्कों के मुक्त उपयोग और चलन बाधित हुआ है।' रिजर्व बैंक ने कहा कि लोगों की लेन-देन की जरूरतों को पूरा करने के लिये समय-समय पर जो भी सिक्के चलन में लाये जाते हैं, उनकी विशेषताएं अलग होती हैं। वे विभिन्न विचारों...आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक...से प्रेरित होती हैं।

रिजर्व बैंक द्वारा जारी विज्ञप्ति में एह भी कहा गया है कि 'रिजर्व बैंक लोगों से अपील करता है कि वे ऐसी अफवाहों पर ध्यान नहीं दे और इन सिक्कों को बिना झिझक वैध मुद्रा के रूप में स्वीकार करें।'

रिजर्व बैंक ने कहा 'फिलहाल विभिन्न आकार-प्रकार, डिजाइन के 50 पैसा, 1 रुपया, 2 रुपया, 5 रुपया और 10 रुपये की राशि के सिक्के चलन में हैं। केंद्रीय बैंक ने इसके साथ बैंकों से यह भी कहा है कि वे सिक्के बदलने आने वाले ग्राहकों को अपनी शाखाओं से नहीं लौटाये।'