बिहार : रोज 130 रु. से भी कम कमाते हैं चमकी बुखार पीड़ित बच्चों के माता-पिता, अब तक हुई 155 से ज्यादा मौतें

बिहार में चमकी बुखार यानि एक्यूट एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) की वजह से अब तक 155 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है। बिहार में बीते एक महीने से इसको लेकर हाहाकार मचा हुआ है। इसका सबसे ज्यादा असर मुजफ्फरपुर में दिखा है। जहां अकेले श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (SKMCH) में अब तक 128 बच्चों की मौत हो चुकी है। एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) को दिमागी बुखार और चमकी बुखार के नाम से भी जाना जाता है। बुखार की वजह से मचे हाहाकार के बीच आज इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। सर्वोच्च अदालत में मुजफ्फरपुर मामले से जुड़ी दो याचिकाएं दाखिल की गई हैं।

वही बिहार सरकार की ओर से मिले आदेश के बाद स्वास्थ्य विभाग ने एक सर्वे करवाया जिसमें चमकी बुखार से मरने वाले बच्चों के माता-पिता की आय को लेकर बड़ा खुलासा सामने आया है। सोशियो इकोनॉमिक सर्वे की प्रारंभिक रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकांश पीड़ित बच्चों का परिवार बीपीएल के नीचे हैं।

अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, अभी तक विभाग ने 287 पीड़ित परिवारों से मिला है जिसमें यह खुलासा हुआ है कि मरने वाले बच्चों के माता-पिता काफी गरीब हैं। इन परिवारों की मासिक आमदनी करीब 4,465 रुपये है।

सर्वे के मुताबिक कई परिवार की सलाना आमदनी मात्र 10 हजार रुपये है। सर्वे में एक और बात का खुलासा हुआ है जिसमें कहा गया है कि पीड़ित परिवारों में से करीब 77 प्रतिशत परिवार में 6-9 सदस्य हैं। पीड़ित 235 मरीजों के परिवार मजदूरी कर अपना भरण पोषण कर रहे हैं। बता दें कि बीमारी से जान गंवाने वाले बच्चों को लेकर कई डॉक्टर कह चुके हैं कि एइएस की एक बड़ी बजह कुपोषण भी है।

नहीं है घरों में पिने का साफ पानी

मरने वाले बच्चों के परिजनों ने बताया कि बुखार लगने से पहले उनके बच्चे धूप में खेल रहे थे तभी अचानक से बीमार होने लगे। 61 परिवार ने बताया कि उनका बच्चा बीमार पड़ने से एक रात पहले कुछ नहीं खाया था। अनुमान के मुताबिक जिन लोगों का सर्वे हुआ है उनमें से 191 के पास कच्चा मकान है। जबकि, 102 लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर मिला है।

अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, इन घरों में 87% लोगों के पास पीना का साफ पानी नहीं है जबकि करीब 60% फीसदी लोगों के घरों में टॉयलेट नहीं है। बीमार लोगों के लिए सरकार की ओर से चलाए जा रहे एंबुलेंस योजना के बारे में 84% प्रतिशत परिवार को जानकारी नहीं है।