आप विधायक दुर्गेश पाठक को मिली जमानत, अरविंद केजरीवाल की न्यायिक हिरासत बढ़ी

नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को आबकारी नीति मामले में आम आदमी पार्टी (आप) के नेता दुर्गेश पाठक और अन्य को जमानत दे दी। अदालत ने एक लाख रुपये का जमानत बांड भरने का भी आदेश दिया। जानकारी के अनुसार, आप विधायक राउज एवेन्यू कोर्ट द्वारा जारी समन पर पेश हुए थे।

मीडिया से बात करते हुए पाठक ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर आम आदमी पार्टी को तोड़ने की कोशिश करने का भी आरोप लगाया।

उन्होंने कहा, हम पिछले 2-3 सालों से यह ड्रामा देख रहे हैं कि प्रधानमंत्री झूठे मामलों के ज़रिए आप को खत्म करना चाहते हैं। लेकिन यह सब धीरे-धीरे उजागर हो रहा है। सभी को ज़मानत मिल रही है और वे जेल से बाहर आ रहे हैं। अगर आप ऑर्डर कॉपी देखेंगे, तो पाएंगे कि किसी भी एजेंसी के पास केस बनाने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं है।

आप नेता ने कहा, यह युग इतिहास में लिखा जाएगा कि कैसे एक छोटी सी पार्टी को खत्म करने की कोशिश की गई - जिसने स्कूलों, अस्पतालों और बुनियादी ढांचे में सुधार करने की बात की, और वे इसे खत्म करने में विफल रहे।

अरविंद केजरीवाल की न्यायिक हिरासत बढ़ी


इस बीच, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और हिरासत में लिए गए अन्य आरोपियों को तिहाड़ जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश किया गया। केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 25 सितंबर तक बढ़ा दी गई है। इससे पहले 5 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े सीबीआई भ्रष्टाचार मामले में जमानत के लिए मुख्यमंत्री केजरीवाल द्वारा दायर याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। सीबीआई ने आरोप लगाया है कि आबकारी नीति मामले में आपराधिक साजिश के जरिए जुटाए गए अवैध धन से आम आदमी पार्टी को फायदा हुआ है। सीबीआई का दावा है कि आप के राष्ट्रीय संयोजक और समग्र प्रभारी के तौर पर अरविंद केजरीवाल इसके लिए जिम्मेदार हैं।

दिल्ली आबकारी नीति मामला

यह मामला दिल्ली सरकार की 2021-22 के लिए अब खत्म हो चुकी आबकारी नीति के निर्माण और क्रियान्वयन में कथित भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा है। आरोप है कि शराब व्यापारियों को लाइसेंस देने के लिए 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार की आबकारी नीति ने गुटबाजी को बढ़ावा दिया और कुछ डीलरों को फायदा पहुंचाया, जिन्होंने कथित तौर पर इसके लिए रिश्वत दी थी, इस आरोप का आप ने बार-बार खंडन किया है। इसके बाद नीति को रद्द कर दिया गया और दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने केंद्रीय जांच ब्यूरो से जांच की सिफारिश की, जिसके बाद ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामला दर्ज किया।