AAP विधायक अलका लांबा का दावा: मुझे ऐसा लगता है कि पार्टी अब मेरी सेवा नहीं चाहती, अरविंद केजरीवाल पर भी साधा निशाना

सोमवार को चांदनी चौक से AAP विधायक अलका लांबा (Alka Lamba) ने बताया , 'मुझे ऐसा लगता है कि पार्टी अब मेरी सेवा नहीं चाहती। लेकिन जब तक मैं विधायक हूं, अपने विधानसभा क्षेत्र के लोगों के लिए काम करना जारी रखूंगी।' उन्होंने दावा किया कि पार्टी में उन्हें नजरअंदाज किया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि उन्हें पार्टी के सभी आधिकारिक वाट्सएप्प ग्रुप से हटा दिया गया है और केजरीवाल ने रविवार को ट्विटर पर उन्हें अनफॉलो कर दिया। उन्होंने पार्टी प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (CM Arvind Kejriwal) पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया है कि सीएम केजरीवाल ने उन्हें ट्विटर पर 'अनफॉलो' कर दिया है। साथ ही उन्होंने कहा है कि उन्हें मौजूदा हालात में पार्टी में काम करने में दिक्कत हो रही है। लांबा ने कहा कि उन्होंने AAP नेतृत्व को एक संदेश भेज कर यह पूछा है कि वह उनके प्रति अपना रूख स्पष्ट करें।

इससे पहले, पिछले साल दिसंबर में लांबा ने दावा किया था कि AAP ने उनसे पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से भारत रत्न वापस लेने के कथित प्रस्ताव का विरोध करने को लेकर उससे इस्तीफा मांगा गया था। हालांकि, AAP ने इस दावे को खारिज कर दिया था। दरहसल, अलका लांबा ने ट्वीट किया था, 'दिल्ली विधानसभा में प्रस्ताव लाया गया की पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री राजीव गांधी जी को दिया गया भारत रत्न वापस लिया जाना चाहिए, मुझे मेरे भाषण में इसका समर्थन करने को कहा गया, जो मुझे मंजूर नही था, मैंने सदन से वॉक आउट किया। अब इसकी जो सजा मिलेगी, मैं उसके लिए तैयार हूं।'

उन्होंने कहा था कि किसी व्यक्ति को किसी एक कार्य के लिए भारत रत्न नहीं मिलता है। देश के लिए जीवन पर्यन्त उल्लेखनीय कार्यों के लिए यह सम्मान दिया जाता है। इसलिए किसी एक वजह से भारत रत्न वापस लेने की बात का समर्थन करना उचित नहीं है। राजीव जी ने देश के लिए कुर्बानी दी है, इस बात को नहीं भुलाया जा सकता है। गौर हो कि दिल्ली विधानसभा में साल 1984 के सिख विरोधी दंगे की वजह से पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी को दिया गया भारत रत्न पुरस्कार वापस लेने का प्रस्ताव पेश किया गया था इसको AAP विधायक अलका लांबा ने विरोध किया। हालांकि डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने बाद में बताया था कि 1984 के सिख दंगा पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए विधानसभा में चल रही चर्चा के दौरान पारित एक प्रस्ताव को लेकर यह विवाद पैदा हुआ था, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का भारत रत्न सम्मान वापस लेने की बात कही गई थी। सिसोदिया ने स्पष्ट किया था कि भारत रत्न सम्मान वापस लेने की बात मूल प्रस्ताव का हिस्सा नहीं थी, यह संशोधित प्रस्ताव था।