'कश्मीरियत पर कलंक लग गया...', पहलगाम हमले पर बोलीं महबूबा मुफ्ती

22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर पूरे देश में गुस्सा और दुख का माहौल है। इस हमले पर प्रतिक्रिया देते हुए पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की प्रमुख और राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने इसे कश्मीरियत पर हमला करार दिया है। महबूबा मुफ्ती ने इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में कहा, “हमें समझना होगा कि यह पहली बार है जब पर्यटकों पर इस तरह का हमला हुआ है। ये लोग निहत्थे थे, जो अपने बच्चों के साथ यहां घूमने आए थे। इन्होंने मुश्किलों से पैसे बचाकर कश्मीर की यात्रा की थी, लेकिन वहां इन्हें बचाने वाला कोई नहीं था। यह बात कश्मीरियों के दिल को बहुत चुभी है, क्योंकि ये पर्यटक हमारे लिए आते हैं, कश्मीर को जन्नत कहते हैं – और फिर उनके साथ ऐसा हो गया।

उन्होंने आगे कहा कि 90 के दशक में जब कश्मीरी पंडित घाटी से पलायन कर गए थे, तब से लेकर आज तक कश्मीरियों के मन में इसका मलाल है। “आज मुझे लगता है कि कश्मीरियों को फिर एक बार वही दुख महसूस हुआ है – जैसे कश्मीरियत पर एक दाग लग गया हो।” महबूबा मुफ्ती ने बताया कि पहलगाम आतंकी हमले के खिलाफ कश्मीरी भी पूरे देश के साथ खड़े हैं। “जिस तरह पूरा देश इस हमले पर शोक में डूबा है, उसी तरह कश्मीरियों ने भी इस पर शोक जताया है। लेकिन जिस तरह से कश्मीरियों को 2019 के बाद से Collective Punishment दी जा रही है, उसे अब रोकना होगा।”

उन्होंने यह भी बताया कि इस हमले को 6 आतंकियों ने अंजाम दिया, लेकिन उसी घाटी में एक आदिल शाह भी था, जिसने आतंकी की बंदूक छीनकर पर्यटकों की जान बचाने की कोशिश की। सज्जाद नाम का एक युवक घायल पर्यटकों को अपनी पीठ पर उठाकर अस्पताल तक पहुंचा। एक टैक्सी ड्राइवर भी था, जो सबसे पहले एक घायल को अस्पताल ले गया। “हमें इन कश्मीरियों को भी देखना चाहिए, न कि सिर्फ उन पर नजर डालनी चाहिए जिनके हाथ में बंदूक थी। भारत सरकार को अब अपनी कश्मीर नीति पर पुनर्विचार करना होगा, क्योंकि आज के कश्मीरी बदल चुके हैं। सरकार को चाहिए कि वह आम कश्मीरियों तक पहुंचे और उन्हें सामूहिक दंड देना बंद करे।”

मुफ्ती ने यह भी कहा कि आज का कश्मीर बदल चुका है। “कश्मीर ने कभी हिंसा नहीं चाही। मैं इतिहास में नहीं जाना चाहती कि पहले क्या हुआ और क्यों हुआ, लेकिन ये सच है कि कश्मीर ने बहुत हिंसा देखी है। आज हमने पहल की है। कश्मीरियों ने इस हमले के विरोध में स्वेच्छा से शटडाउन किया है – क्योंकि वे आहत हैं। कश्मीरियों में भी इस हमले को लेकर गुस्सा है, और यही कारण है कि शटडाउन का आह्वान किया गया। अगर आप पहलगाम जाएंगे, तो आप खुद महसूस करेंगे कि कश्मीरियों के भीतर इस घटना को लेकर कितना गुस्सा और कितना दुख है।”