कांग्रेस का महाधिवेशन : अच्छा भारत बनाने के लिए कांग्रेस हर कुर्बानी देने के लिए तैयार : सोनिया गांधी

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस के 84वें अधिवेशन में देशभर से करीब 12 हजार कांग्रेस के कार्यकर्ता हिस्सा लेने के लिए पहुंचे हैं। इस अधिवेशन में सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह समेत कांग्रेस के सभी बड़े नेता मौजूद हैं। इस मौके पर कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने अगले पांच सालों की रणनीति और रूप रेखा पर चर्चा की। अधिवेशन की शुरुआत राहुल गांधी के जोशीले भाषण से हुई जिसमें उन्होंने एक बार फिर मोदी सरकार को घेरा और कहा कि देश को इन दिनों बांटने का काम चल रहा है। एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति से लड़ाया जा रहा है। देश में गुस्सा फैलाया जा रहा है, लेकिन इसका मुकाबला कांग्रेस ही कर सकती है।

अधिवेशन में कांग्रेस की पॉलिटिकल कमेटी ने प्रस्ताव पारित किया जिसमें EVM के प्रति नाराजगी जाहिर की गई। कहा गया कि लोकतंत्र में चुनाव प्रक्रिया की विश्वसनीयता को सुनिश्चित करने के लिए पुराने तरीके से चुनाव संपन्न कराए जाएं। प्रस्ताव के मुताबिक कई देशों में की तरह भारत में भी EVM के बजाय मतपत्रों पर चुनाव करवाए जाएं। प्रस्ताव के अनुसार ईवीएम पर कई पार्टियों को संशय है। चुनाव आयोग को इस पर कदम उठाना चाहिए।

सोनिया गांधी

महाअधिवेशन में अपने भाषण की शुरुआत में सोनिया गांधी ने राहुल गांधी को बधाई दी। उन्होंने कहा कि जो लोग हमारा अस्तित्व मिटाने का सपना देख रहे थै। उन्हें आज पता चल चुका है कि लोगों के दिलों में आज भी कांग्रेस के लिए प्यार जिंदा है। मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए सोनिया गांधी ने मनमोहन सरकार की उपलब्धियों को याद दिलाया। उन्होंने कहा कि मौजूदा मोदी सरकार, मनमोहन सरकार के कार्यकाल में बनाई गई योजनाओं को कमजोर कर रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस न कभी झुकी है और न कभी झुकेगी।

इस दौरान सोनिया गांधी ने कहा कि हम अच्छा भारत बनाने के लिए कांग्रेस हर कुर्बानी देने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस, सरकार के भ्रष्टाचार को उजागर कर रही है। सोनिया ने अपने कार्यकर्ताओं से अपील की, कि अपनी निजी आकांक्षाओं को दरकिनार करते हुए देश को आगे ले जाने में अपना सहयोग दें। पक्षपात मुक्त भारत बनाने में सहयोग करें। हाहाकार मुक्त भारत बनाने में अपना योगदान दें।

सोनिया गांधी ने कहा कि जिन राज्यों में हमारी सरकार नहीं है वहां राज्य सरकारें हमारे लोगों पर अत्याचार और अन्याय कर रही हैं। लेकिन कांग्रेस के कर्मठ कार्यकर्ता अन्याय और अत्याचार के खिलाफ संघर्ष करते रहे हैं।

सिद्धारमैया

अधिवेशन में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने दावा किया हैं कि 2019 में राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनने से कोई नहीं रोक सकता है।

सचिन पायलट


कांग्रेस की युवा ब्रिगेड में शामिल सचिन पायलट ने उन लोगों को निशाने पर लिया जो पार्टी को चुनौती देते हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग हमारा मजाक बनाते हैं उन्हें बता दूं कि राहुल गांधी की अगुवाई में हमने उपचुनाव में जीत दर्ज की है। और वह दिन दूर नहीं जब राज्यों के चुनाव भी जीतना शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को जबरदस्त मिलेगी।

मल्लिकार्जुन खड़गे

राहुल गांधी के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। अपने भाषण में उन्होंने एक शायरी के जरिए मोदी सरकार पर ना केवल हमला किया बल्कि आरएसएस-भाजपा को लोगों का खून पीने वाला तक बताया। खड़गे ने कहा- तिमिर को रोशनी कहते हुए अच्छा नहीं लगता, मुझे गम को खुशी कहते हुए अच्छा नहीं लगता। लहू इंसानियत का जो दिन-रात पीते हैं, आरएसएस-बीजेपी के लोग उनको इंसान कहते हुए मुझे अच्छा नहीं लगता। खड़गे ने कहा- आप सभी के आशीर्वाद और सहयोग से हम एक बार फिर कर्नाटक को जीत लेंगे। हमें आपकी मदद की जरूरत है। जिस तरह भाजपा और आरएसएस के कार्यकर्ता हर दरवाजे पर जा रहे हैं, ठीक उसी तरह आप भी करें और कर्नाटक में हमारी मदद करें।

राहुल गांधी

अध्यक्ष बनने के बाद राहुल का यह पहला महाधिवेशन है। उन्होंने कहा देश को इन दिनों बांटने का काम चल रहा है। एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति से लड़ाया जा रहा है। देश में गुस्सा फैलाया जा रहा है, लेकिन इसका मुकाबला कांग्रेस ही कर सकती है। दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में देश भर से आए कांग्रेसियों को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा, 'यह जो हाथ का निशान है, यही देश को जोड़ने और आगे ले जाने का काम कर सकता है।'

राहुल गांधी ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को साथ लेकर चलने का भरोसा देते हुए कहा कि हम यहां भविष्य की योजना बनाने बैठे हैं, लेकिन बीते कल को भी नहीं भूलते। उन्होंने कहा कि मैं मंच से कहना चाहता हूं कि यदि युवा कांग्रेस को आगे ले जाएंगे तो यह काम वरिष्ठ नेताओं के बिना नहीं हो सकता। कांग्रेस में राहुल के नेतृत्व में नई पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी के नेताओं के बीच तालमेल को लेकर चिंता जताई जाती रही है।