लोकसभा के बाद राज्यसभा से सस्पेंड हुए 34 सांसद, एक ही दिन में 67 हुई संख्या

नई दिल्ली। सोमवार को राज्यसभा से विपक्ष के 34 सांसदों को सस्पेंड कर दिया गया है। इन सांसदों को सभापति की बात नहीं मानने पर सस्पेंड किया गया है। इससे पहले सोमवार को ही लोकसभा से भी 33 सांसदों को निलम्बित कर दिया गया था।

राज्यसभा से विपक्ष के जिन 34 सांसदों को सस्पेंड किया गया है, उनमें प्रमोद तिवारी, जयराम रमेश, अमी याग्निक, नारायण भाई राठवा, शक्ति सिंह गोहिल, रजनी पाटिल, सुखेंदु शेखर, नदिमुल हक, एन. षणमुगम, नसीर हुसैन, फुलोदेवी नेताम, इमरान प्रतापगढ़ी, रणदीप सुरजेवाला, मौसम नूर, समिरुल इस्लाम, रंजीत रंजन, कनिमोझी, फैयाज अमजद, मनोज झा, रामनाथ ठाकुर, अनिल हेगड़े, वंदना चव्हाण, रामगोपाल योदव, जावेद अली खान, जोस के मणि, महुआ मांझी और अजीत कुमार शामिल हैं।

सही नहीं है सामूहिक रूप से सस्पेंड करना: ममता बनर्जी

संसद के शीतकालीन सत्र से विपक्षी सांसदों के निलंबन पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि यह सही नहीं है कि वे सामूहिक रूप से सभी को सस्पेंड कर दें। अगर वे सोचते हैं कि सभा सुप्रीम है तो डरते क्यों हैं? अगर वे सभी सांसदों को सस्पेंड कर देंगे तो विपक्ष सदन में अपनी आवाज कैसे उठाएगा? सदन में तीन महत्वपूर्ण बिल पारित होने जा रहे हैं। लोकतंत्र में एक व्यवस्था होती है, लोगों की आवाज सदन में कौन उठाएगा? लोगों की आवाज घोंट दी गई है। पूरी तरह से विपक्ष को सस्पेंड कर सदन चलाना नैतिक रूप से सही नहीं है।