जयपुर, जोधपुर और कोटा में फिर हो सकता है एक नगर निगम, राजनीतिक आधार पर होगा शहरी निकायों के वार्डों का पुर्नगठन

जयपुर। राजस्थान में पंचायती राज संस्थाओं के बाद अब सरकार शहरी निकायों का भी पुनर्गठन करने जा रही है। नगर निगम, नगर परिषदों और नगर पालिकाओं की सीमाओं में बदलाव करने और नए शहरी निकाय बनाने और खत्म करने का आकलन करने के लिए सरकार ने मंत्रियों की कमेटी का गठन किया है।

मंत्रियों की कमेटी शहरी निकायों का पुनर्गठन करने के लिए खाका तैयार करेगी। इसके अलावा लोगों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं से भी फीडबैक लेगी। जो इलाके नगर पालिका, नगर परिषद या शहरी निकाय बनने के मापदंडों को पूरा नहीं करते उनमें छूट देने के लिए भी कैबिनेट सब कमेटी को अधिकृत किया गया है। राजनीतिक आधार पर वार्डों में फेरबदल को लेकर भी स्थानीय मांग के हिसाब से यह कमेटी फैसला करेगी।

राजनीतिक आधार पर होगा शहरी निकायों के वार्डों का पुनर्गठन


शहरी निकायों के वार्डों का पुनर्गठन राजनीतिक आधार पर ही होता आया है। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक कांग्रेस राज के दौरान नगर निगम, नगर परिषदों और नगर पालिकाओं में वार्डों का पुनर्गठन इस तरह से किया गया था कि सत्ताधारी पार्टी को उसका लाभ मिल रहा था।

कांग्रेस राज्य में हुए पुनर्गठन का राजनीतिक तौर पर कांग्रेस को लाभ मिल रहा था। अब प्रदेश में सरकार बदलने के बाद नए सिरे से पुनर्गठन होने जा रहा है। ऐसे में अब कांग्रेस राज में जिन इलाकों से वार्ड बने थे। उनमें फेरबदल किया जाना तय माना जा रहा है। अल्पसंख्यक बहुल वार्डों में अब सबसे ज्यादा फेरबदल होने की संभावना है।

यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा को कैबिनेट सब कमेटी का संयोजक बनाया गया है। इस कमेटी में जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत, वन मंत्री संजय शर्मा और सहकारिता मंत्री गौतम कुमार को मेंबर बनाया गया है।

जयपुर, जोधपुर और कोटा में रखा जाएगा एक ही नगर निगम

कैबिनेट सब कमेटी कई शहरों में निकायों के अपग्रेडेशन को भी रिव्यू करेगी। गहलोत राज में बनाए गए दो-दो नगर निगमों के फैसले का भी कमेटी रिव्यू करेगी। इसमें जयपुर,कोटा और जोधपुर में बनाए गए दो-दो नगर निगम में से एक-एक को खत्म करने पर भी रिपोर्ट देगी। यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा कई बार इन तीनों शहरों में एक-एक नगर निगम ही रखने की बात कह चुके हैं।

बड़े पैमाने पर बनाए गए वार्ड मर्ज हो सकते हैं


जयपुर, जोधपुर और कोटा में फिर से एक-एक नगर निगम के हिसाब से वार्ड बनाने होंगे। इससे वार्डों का पुनर्गठन होगा। इस प्रक्रिया में लम्बा समय लगता है। एक शहर, एक निकाय लागू करने से तीनों शहरों में नगर निगम की व्यवस्थाएँ बदलेंगी। इसका असर निकाय चुनावों पर भी होगा। दो-दो की जगह फिर से इन शहरों में एक ही मेयर होगा। वार्ड मर्ज होने के बाद पार्षदों की संख्या में भी कमी होगी।

एक साथ चुनाव के लिए लगाने होंगे प्रशासक

एक राज्य ए चुनाव करवाने की हालत में कई निकायों में प्रशासक लगाने होंगे। यूडीएच मंत्री ने निकायों में प्रशासक लगाने की तैयारी के संकेत दिए हैं। एक साथ चुनाव करवाने के कारण जिन निकायों के चुनाव इस साल बाकी हैं, उनके चुनाव अगले साल तक के लिए टालने होंगे।