1984 सिख विरोधी दंगे : बेटी की दर्दनाक दास्तां- बचने के लिए पिता नाले में कूदे, भीड़ ने बाहर निकाल रॉड से मारा, जिंदा जलाया, फिर भी नहीं मरे तो छिड़का फास्फोरस

1984 के सिख विरोधी दंगा मामले में हत्या की साजिश रचने वाले कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को दोषी ठहराते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को उम्रकैद की सजा सुनाई है। हाईकोर्ट ने कहा है कि कुमार को ताउम्र जेल में रहना होगा। इसके साथ ही उनसे 31 दिसम्बर तक आत्मसमर्पण करने को कहा गया और उससे पहले दिल्ली नहीं छोड़ने को भी कहा गया।

दिल्ली हाईकोर्ट ने निचली अदालत का फैसला पलटते हुए सज्जन कुमार को दिल्ली कैंट इलाके में 5 लोगों की हत्या के मामले में आपराधिक साजिश और भीड़ को उकसाने का दोषी पाया है। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा, 'साल 1947 के विभाजन के दौरान सैंकड़ो लोगों का नरसंहार हुआ था, 37 साल बाद दिल्ली में वैसा ही मंजर दिखा। आरोपी राजनीतिक संरक्षण के चलते ट्रायल से बचते रहे।'

दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के बाद दंगों की पीड़िता निरप्रीत कौर मीडिया से बात करते-करते रो पड़ीं। उन्होंने कहा उस वक्त वह 16 साल थी, जब उसके सामने ही उसके पिता को जिंदा जला डाला गया था। गुस्साई भीड़ ने दिल्ली के राजनगर में एक दिसंबर 1984 को गुरुद्वारे के पास जिंदा जला दिया था। कौर के पिता निर्मल सिंह एक गुरुद्वारे में ग्रंथी थे। कौर ने मीडिया से कहा, 'मुझे 34 साल बाद न्याय मिला है। अब वह (सज्जन कुमार) जेल जाएगा।' 207 पेज के फैसले में गवाहों के हवाले से लिखा गया है कि उस दिन सुबह क्या हुआ था।

निरप्रीत के पिता निर्मल सिंह पर केरोसिन डाल दिया गया था। जब भीड़ को माचिस नहीं मिली तो एक पुलिसकर्मी चिल्लाया और उनमें से एक को माचिस दे दी और फिर उन्हें आग लगा दी गई। निर्मल सिंह इसके बाद नाले में कूद गए। भीड़ ने बाद में उन्हें एक खंभे से बांध दिया, जब देखा कि अभी वे जिंदा हैं तो उन्हें फिर आग के हवाले कर दिया। लेकिन निर्मल सिंह फिर नाले में कूद गए। सिंह की बेटी ने देखा कि इसके बाद भीड़ वापस आती है और उस पर रॉड से हमला कर देती है। इसके बाद भीड़ में किसी एक ने सिंह पर सफेद पाउडर (फास्फोरस) छिड़क दिया, जिससे उनका पूरा शरीर जल गया।

निरप्रीत का कहना है कि उसके पिता की हत्या के एक दिन बाद उस इलाके से सांसद सज्जन कुमार ने भाषाण दिया कि जो भी हिंदू सिखों को बचा रहे हैं, उन्हें मार देना चाहिए। कौर ने बताया, 'मैंने देखा कि सज्जन कुमार भाषण दे रहे कि इंदिरा गांधी को मारने वाला एक भी सरदार नहीं बचना चाहिए। उसके बाद से मेरी जिंदगी नरक बन गई।'