वाराणसी। ज्ञानवापी मामले में ASI के एडिशनल डायरेक्टर ने वाराणसी के जिला जज को सील बंद रिपोर्ट सौंप दी है। सूत्रों के मुताबिक, रिपोर्ट 1500 से ज्यादा पेज की है। ASI को ज्ञानवापी के सर्वे के दौरान खंडित मूर्तियां, घड़ा, चिह्न जैसे 250 अवशेष मिले थे। इन्हें डीएम की निगरानी में लॉकर में जमा कराया गया था। इन सभी अवशेषों को भी कोर्ट में पेश किया गया है।
सर्वे रिपोर्ट पेश होने से पहले मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट में एप्लीकेशन दी। इसमें माँग की गई क सर्वे की रिपोर्ट सील बंद लिफाफे में पेश हो और बिना हलफनामे के किसी को भी सार्वजनिक करने की इजाजत न दी जाए। दूसरी तरफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में जारी याचिकाओं पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने 8 दिसंबर को अपना फैसला रिजर्व रखा लिया था। इसमें तीन याचिकाएं 1991 में वाराणसी की कोर्ट में अदालत में दाखिल किए गए केस की पोषणीयता को लेकर दाखिल की गई है।
रिपोर्ट पेश करने के लिए सुरक्षा के बीच 5 सदस्यीय टीम जिला जज कोर्ट पहुँची। ASI ने मेडिकल कारणों से 7 दिन का समय माँगा था, जिसके बाद जिला जज ने रिपोर्ट सबमिट करने के लिए 18 दिसम्बर का दिन तय किया था। आज वादी-प्रतिवादी और दोनों पक्षों के सभी वकील मौजूद रहे।
कोर्ट के आदेश पर हुआ था सर्वेवाराणसी कोर्ट ने 21 जुलाई को ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कराने का आदेश दिया था। इस आदेश में 3 अगस्त तक जांच पूरी कर एएसआई को सर्वे रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया गया था। हालांकि मुस्लिम पक्ष के सुप्रीम कोर्ट का रुख करने के बाद सर्वे का काम रोकना पड़ा। बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एक बार फिर सर्वे का काम शुरू किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने सील किए गए वजूखाना क्षेत्र को छोड़कर परिसर के सर्वे का आदेश जारी कर दिया। सर्वे के काम में एएसआई के अलावा पुरातत्वविद्, रसायनशास्त्री, भाषा विशेषज्ञों, सर्वेयर के अलावा आईआईटी की भी मदद ली गई। सर्वे में आधुनिक तकनीक का भी इस्तेमाल किया गया।